Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा की सियासत में गुरुवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला। इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) गठबंधन में अब गोपाल कांडा की पार्टी हरियाणा लोकहित भी शामिल हो गई है। अब तीनों पार्टियां मिलकर हरियाणा का चुनाव लड़ेंगी। गोपाला कांडा की पार्टी का बीएसपी और इनेलो के साथ गठबंधन ऐसे वक्त में हुआ है, जब लग रहा था कि भाजपा और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) का गठबंधन होगा, लेकिन शुक्रवार को हरियाणा चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन एचएलपी के गोपाल कांडा ने ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया।
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत का आंकड़ा नहीं मिला था। बहुमत के आंकड़े से पार्टी छह सीटें दूर रह गई थी। ऐसे में उसने बहुमत को पूरा करने के लिए संभावितों पर डोरे डाले थे। एचएलपी ने एक सीट (सिरसा में कांडा) जीती थी। कांडा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की, लेकिन भाजपा ने एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की आत्महत्या के मामले में उनकी कथित संलिप्तता के कारण उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखी।
कांडा ने बरी होने से पहले और उसके बाद भी विधानसभा के अंदर और बाहर भाजपा को समर्थन देना जारी रखा । 2021 में उनके भाई गोविंद कांडा भी भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में शामिल होने के तीन दिन बाद गोविंद को एलेनाबाद उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया गया, जो मौजूदा विधायक अभय चौटाला द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में इस्तीफा देने के बाद जरूरी हो गया था। चौटाला ने उपचुनाव लड़ा और गोविंद को 6,700 वोटों से हराया।
चुनाव के समय भाजपा और एचएलपी ने अपने गठबंधन को कामयाब बनाने की कोशिश की। कांग्रेस की कुमारी शैलजा से सिरसा लोकसभा सीट हारने के बाद भाजपा इस क्षेत्र में खोई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही थी। अगस्त में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सिरसा में कांडा के घर गए थे। बाद में सैनी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि भाजपा एचएलपी के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इस महीने की शुरुआत में कांडा ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की थी। जिसके बाद कहा जाना लगा था कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के लिए 15 सीटें मांगी हैं। हालांकि, भाजपा कांडा की मांगों पर सहमत नहीं हुई।
सिरसा से एचएलपी के एकमात्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे कांडा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि बातचीत “सफल नहीं हुई”। “हां, भाजपा के साथ बातचीत चल रही थी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी मेरे पास आए और मैं भी नई दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व से मिलने गया, लेकिन गठबंधन या सीट बंटवारे पर कोई बात नहीं बनी। मीडिया में छप रहा था कि मैं भाजपा से 10-15 सीटें मांग रहा हूं… यह गलत है। बात बस इतनी है कि बातचीत इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि भाजपा के दिमाग में कुछ और चल रहा था।
आईएनएलडी और मायावती की बीएसपी के साथ अपने नए गठबंधन पर कांडा ने कहा, “हमारी व्यवस्था के अनुसार, आईएनएलडी, बीएसपी और एचएलपी मिलकर हरियाणा चुनाव लड़ेंगे। मेरे भाई गोविंद कांडा जिन्होंने फतेहाबाद से नामांकन दाखिल किया था, उन्होंने अपना पद छोड़ दिया है। मेरे भतीजे (गोविंद के बेटे धवल) को पहले हम रानिया से मैदान में उतार रहे थे, लेकिन अब हम अर्जुन चौटाला (अभय चौटाला के बेटे और आईएनएलडी उम्मीदवार) का समर्थन करेंगे। एचएलपी आईएनएलडी और बीएसपी को उन सभी सीटों पर समर्थन देगी, जिन पर वे चुनाव लड़ रहे हैं। हम आपसी सहमति पर पहुंच गए हैं।”
कांडा का चौटाला से रिश्ता
कांडा ने जब अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, तब वे चौटाला परिवार के करीबी सहयोगी थे। 2004 में उस साल के विधानसभा चुनावों से पहले कांडा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (अभय के पिता) का स्वागत कथित तौर पर 80 लाख रुपये के नोटों की माला पहनाकर किया था।
2009 में कांडा ने इनेलो से टिकट मांगा, लेकिन उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। इससे परेशान होकर उन्होंने सिरसा से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीत गए। उस चुनाव में कांग्रेस बहुमत से चूक गई थी। भूपिंदर सिंह हुड्डा जो दूसरे कार्यकाल की तलाश में थे, उन्होंने कांडा से बातचीत की। कांडा एक सख्त सौदेबाज थे। उन्होंने मंत्री पद से कम पर बात नहीं की और उन्हें गृह विभाग मिला। हुड्डा के करीब होने के बावजूद, चौटाला के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए।
गीतिका शर्मा सुसाइड केस में आया था गोपाल कांडा का नाम
अगस्त 2012 में कांडा ने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, जब उन पर गीतिका शर्मा के मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा, जो उनकी एविएशन फर्म एमडीएलआर एयरलाइंस में काम करती थी। दो साल बाद 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में जब कांग्रेस ने कांडा को सिरसा से टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर दी।
(वरिंदर भाटिया की रिपोर्ट)