केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर और गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने गोवा में पिछली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में एक जल विकास योजना का ठेका हासिल करने के लिए अमेरिकी कंपनी लुइस बर्गर के कथित रूप से रिश्वत देने के मामले में रविवार को सीबीआइ जांच की मांग की। उधर ईएनएस के मुताबिक लुइस बर्गर कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड. कंपनी पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा रिश्वत देने का आरोप लगाए जाने से महज तीन दिन पहले ही कंपनी की भारतीय इकाई के दो अधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
रजिस्ट्रार आफ कंपनीज (आरओसी) में लुइस बर्गर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में कंपनी के दो निदेशकों – वायन ओवरमैन और ल्यूक मैककिनॉन – ने 14 जुलाई को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वे ‘बेहतर भविष्य’ के लिए कंपनी छोड़ रहे हैं। इस बारे में कंपनी को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री पर्रीकर ने रविवार को आरोप लगाया कि रिश्वतखोरी के मामले में पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत दिगंबर कामत सरकार के दो पूर्व मंत्री शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।
अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित निर्माण प्रबंधन कंपनी लुइस बर्गर पर गोवा और गुवाहाटी में दो बड़ी जल विकास परियोजनाओं को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कई करोड़ रुपए की रिश्वत देने के आरोप लगे हैं जिसके मद्देनजर दोनों भाजपा नेताओं की प्रतिक्रियाएं आई हैं।
लुइस बर्गर की तरफ से गोवा की एक परियोजना के लिए 9,76,630 डॉलर की कथित रिश्वत देने में एक मंत्री को किया गया भुगतान भी शामिल है जिसका ब्योरा अमेरिकी न्याय विभाग ने उजागर नहीं किया है। संघीय अभियोजकों ने 11 पन्नों के अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि लुइस बर्गर ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के संबंध में विस्तृत डायरी और खाता बना रखा था।
मुख्यमंत्री पारसेकर ने रविवार सुबह पत्रकारों से कहा, ‘चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है, गोवा पुलिस इसकी जांच नहीं कर सकती। यही वजह है कि सरकार ने इसकी सीबीआइ जांच की मांग करते हुए प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखने का फैसला किया है। लोगों के सामने सच्चाई आनी चाहिए’।
पारसेकर ने कहा, ‘जब ठेके दिए गए थे तो कांग्रेस नेता दिगंबर कामत मुख्यमंत्री थे और चर्चिल अलेमाव लोक निर्माण विभाग मंत्री थे। अब यह रहस्योद्घाटन होना चाहिए कि किस मंत्री ने रिश्वत ली’।
पर्रीकर ने मड़गांव में भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि घटनाक्रम उस समय का है जब दिगंबर कामत नीत सरकार सत्ता में थी। उन्होंने कहा, ‘चूंकि मामला जेएआइसीए (जापान इंटरनेशनल फंडिंग प्रोजेक्ट) से जुड़ा है इसलिए तत्कालीन लोक निर्माण विभाग मंत्री शामिल हो सकते हैं। लेकिन परियोजना को वित्तीय मंजूरी देने से जुड़ा मामला भी है इसलिए एक और मंत्री के शामिल होने की भी संभावना है’। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की सीबीआइ जांच से रिश्वतखोरी मामले की सच्चाई सामने आएगी।
दो दिन पहले कंपनी ने इन आरोपों के निपटारे के लिए एक करोड़ 71 लाख डॉलर आपराधिक जुर्माना अदा करने पर सहमति जताई थी कि उसने भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम और कुवैत में सरकारी निर्माण प्रबंधन ठेके पाने के लिए रिश्वत दी थी। कंपनी के दो पूर्व अधिकारियों, फिलीपीन के रिचर्ड हर्ष (61) और यूएई के जेम्स मैकक्लंग (59) ने रिश्वतखोरी के आरोपों को स्वीकार किया था।
भारत सरकार ने जापान सरकार की मदद से जल और सीवरेज सुविधाओं के निर्माण और विस्तार के लिए पांच वर्षीय ‘गोवा जल आपूर्ति और सीवरेज परियोजना’ शुरू की थी। लुइस बर्गर कंपनी गोवा में परियोजना के लिए बने संकाय का हिस्सा थी। इस संकाय में दो जापानी कंपनी और एक भारतीय साझेदार शामिल थे। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि टीम ने एक परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली और योजना विकसित की, निविदाओं का मूल्यांकन किया, डिजाइन और निर्माण योजनाओं की समीक्षा की और तय किया कि समय पर और तय बजट में गुणवत्तापूर्ण काम हो।