Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर हिस्से के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि यह मामला न्यायालय के नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई बीआर गवई ने याचिकाकर्ता से कहा, “जाओ और देवता से ही कुछ करने के लिए कहो। तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो। तो जाओ और अभी प्रार्थना करो। यह एक पुरातात्विक स्थल है और एएसआई को अनुमति वगैरह देनी होगी। माफ करना।” याचिकाकर्ता के वकील ने मूर्ति की तस्वीर का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि भगवान विष्णु की मूर्ति का सिर जीर्ण-शीर्ण हो चुका है और इसके पुनर्निर्माण की जरूरत है।

राकेश दलाल की तरफ से दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि मुगल आक्रमणों के दौरान मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और सरकार से इसे पुनर्स्थापित करने के लिए बार-बार अनुरोध करने के बावजूद यह उसी अवस्था में बनी हुई है। इसमें मूल रूप से चंद्रवंशी राजाओं की तरफ से बनाए गए खजुराहो मंदिरों का इतिहास बताया गया है और आरोप लगाया गया है कि औपनिवेशिक उपेक्षा और स्वतंत्रता के बाद की निष्क्रियता के कारण स्वतंत्रता के 77 साल बाद भी मूर्ति की मरम्मत नहीं की गई है।

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याचिकाकर्ता ने क्या तर्क दिया

इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मूर्ति को फिर से स्थापित करने से इनकार करना श्रद्धालुओं के पूजा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में मंदिर से संबंधित विरोध प्रदर्शनों, ज्ञापनों और अभियानों का जिक्र किया गया, जिनका कोई जवाब नहीं मिला। याचिका में सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट से मिले जवाब का भी जिक्र है कि “खजुराहो मंदिरों के संरक्षण की जिम्मेदारी एएसआई की है। इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया है कि खजुराहो मंदिर श्रृंखला के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति को नई मूर्ति से बदलना संरक्षण नियमों के खिलाफ है।”

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