जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है।सरकारी आदेश के मुताबिक, सीडीएस के पद पर जनरल रावत की नियुक्ति 31 दिसंबर से प्रभावी होगी। उन्होंने 31 दिसंबर 2016 को सेना प्रमुख का पद संभाला था, जबकि मंगलवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

सेना प्रमुख बनने से पहले वह पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा, चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा और पूर्वोत्तर में विभिन्न संचालनात्मक जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने उनके सीडीएस बनाए जाने के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि देश की मजबूत सुरक्षा के लिए सरकार ने फैसला लिया है और बिपिन रावत को सीडीएस नियुक्त किया गया है।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने मंगलवार को 28वें आर्मी चीफ के तौर पर कमान संभालेंगे। जनरल रावत के बाद वह देश के नए सेना प्रमुख होंगे। बता दें कि रावत कल से नई भूमिका में होंगे और उनकी यानी कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ पद का काम तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बैठाना होगा।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने। (फोटोः पीटीआई)

मोदी सरकार ने इस पद की घोषणा की थी। इस पद के लिए रिटायरमेंट की उम्र 62 तय की गई थी लेकिन इसे बढ़ाकर 65 साल कर दिया गया है। बिपिन रावत इस पद को पाने की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और दक्षिणी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सतिंदर कुमार सैनी भी इस रेस में शामिल थे।

सरकार ने तय किया है कि यह पद फोर स्टार वाले सैन्य अधिकारी हो को दिया जा सकता है। सीडीएस अन्य सेना प्रमुखों के समान ही होंगे। हालांकि, प्रोटोकाल की सूची में सीडीएस को सेना प्रमुखों से वरिष्ठ बनाया गया है। वेतन सेना प्रमुख के  ही समान होगा। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख होंगे, जिसका सृजन रक्षा मंत्रालय करेगा और वह इसके सचिव के रूप में काम करेंगे।

सीडीएस के जरिए अन्य देशों से युद्ध की स्थिति तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। दरअसल, सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल प्लानिंग में कई बार खामियां सामने आईं।

वहीं सैन्य उपकरण की खरीद को लेकर पनपने वाले विवादों में भी सीडीएस चीफ की भूमिका अहम होगी। कई मौकों पर देखा गया है कि तीनों सेनाएं अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से सरकार के सामने सैन्य उपरकरण की मांग रखती हैं। लेकिन किसे सबसे पहले और सबसे ज्यादा जरूरत है इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में सीडीएस की भूमिका यहां पर अहम हो जाएगी। सीडीएस अपने विवेक और अनुभव से यह सुनिश्चित करेंगे की तीनों सेनाओं में से किसे पहले और कितने सैन्य उपरकरणों की जरूरत है।