अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर पर प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया है। इससे पहले गीता प्रेस के लिए खुशखबरी आई है। दरअसल गीता प्रेस रामचरितमानस की किताब छापता है और अब स्टॉक खत्म हो गया है। आमतौर पर हर महीने गीता प्रेस करीब 75,000 कॉपी रामचरितमानस की छापता है और हमेशा स्टॉक बचा रहता है। लेकिन इस बार यह खत्म हो चुका है।
गीता प्रेस के मैनेजर लालमणि त्रिपाठी ने कहा, “जब से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की घोषणा हुई है, उसके बाद से रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा की डिमांड काफी बढ़ गई है। इसके पहले हम हर महीने 75,000 कॉपी छापते थे लेकिन अब हम 1 लाख कॉपी छाप रहे हैं, उसके बावजूद कोई स्टॉक नहीं बचा है।”
गीता प्रेस से हर महीने करीब 1.5 लाख प्रतियों की डिमांड हो रही है। अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में रामचरितमानस की 3 लाख 27 हजार प्रतियां छपी थी लेकिन यह सभी बिक चुकी है। इन तीन महीनों में हनुमान चालीसा की 13 लाख 50 हजार प्रतियां छपी लेकिन अब इसका भी स्टॉक खत्म होने वाला है।
रामचरितमानस की डिमांड बिहार और राजस्थान से भी आ रही है। गीता प्रेस अधिक प्रतियां की आपूर्ति को लेकर असमर्थता जता चुका है। भगवान राम पर आधारित करीब 13 करोड़ पुस्तक गीता प्रेस छाप चुका है। लालमणि तिवारी ने बताया कि हम करीब 75 प्रतिशत पुस्तकें ही उपलब्ध करा पा रहे हैं। इस वर्ष अब तक 20 करोड़ रुपए से अधिक की किताब बिक चुकी है।
गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी और 1939 में इसने पहली बार रामचरितमानस का प्रकाशन किया था। यह पुस्तक कुल 10 भाषाओं में प्रकाशित होती है और अब तक साढ़े तीन करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी है। रामचरितमानस के 7 अलग-अलग कांड हैं और सभी की बाजारों में काफी मांग है। सबसे अधिक मांग सुंदरकांड की होती है। कई लोग मंगलवार को अपने घर पर सुंदरकांड का रामायण भी करवाते हैं। कुछ साल पहले गीता प्रेस की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी लेकिन अब फिर से यह काफी अच्छी हो गई है।