अमेरिका में अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने और इस मामले को छिपाने का आरोप लगा है। इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेस की और पीएम मोदी पर गौतम अडानी को बचाने का आरोप लगाया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के लिए अमेरिका में गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं।  अमेरिका में न्याय विभाग के क्राइम ब्रांच की उप सहायक अटॉर्नी जनरल लिसा एच मिलर ने अडानी और उनके सहयोगियों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने और भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के ज़रिए से सोलर पॉवर के कांट्रैक्ट हासिल करने के आरोप लगाए हैं।

इस मामले में आगे क्या होगा?

इस पूरे मामले में आगे क्या होने की संभावना है? इस आर्टिकल के ज़रिए हम यही समझने का प्रयास करेंगे। हम जानेंगे कि अमेरिकी कानून व्यवस्था इस तरह के मामलों को कैसे डील किया जाता है? इस तरह के किसी कथित अपराध की जांच करने के बाद पुलिस सबूत को एक सरकारी वकील को सौंपती है। यदि सरकारी वकील को लगता है कि कोई गंभीर अपराध किया गया है तो वह एक ग्रैंड जूरी के चयन की पहल कर सकता है।

ग्रैंड जूरी क्या है और इसके सदस्य कौन हैं?

ग्रैंड जूरी एक पैनल है जो निष्पक्ष तरीके से चुने हुए लोगों से बनी होती है। इसमें न्यूयॉर्क राज्य के 23 लोग शामिल हो सकते हैं, जिसमें साक्ष्य सुनने के लिए कम से कम 16 जूरी सदस्यों का मौजूद होना ज़रूरी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाए जाने के लिए ग्रैंड जूरी की ओर से उसे दोषी पाया जाना ज़रूरी होता है।

ग्रैंड जूरी क्या करती है?

ग्रैंड जूरी का उद्देश्य किसी आरोपी व्यक्ति की बेगुनाही या अपराध का निर्धारण करना नहीं है। जबकि ट्रायल जूरी को यह तय करना होता है क जिस भी शख्स पर आरोप लगे हैं, वह आरोप कितने सही हैं कितने नहीं और सबूत क्या-क्या दिए गए हैं। यदि ग्रैंड जूरी को सबूत पर्याप्त लगते हैं तो वह आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कह सकती है। फिर मामले को अंतिम सुनवाई और निर्णय के लिए ट्रायल में ले जाया जाएगा।

ग्रैंड जूरी की कार्यवाही भी गुप्त रूप से आयोजित की जाती है, जबकि ट्रायल कार्यवाही जनता के लिए खुली होती है। न्यूयॉर्क में कम से कम 12 जूरी सदस्यों (16 से 23 में से जिन्होंने सबूत सुने हैं) को मुकदमा चलाने के लिए सहमत होना चाहिए।

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अडानी के मामले में क्या हो सकता है?

अडानी के मामले में आरोप तय होने के बाद मुकदमा चलाया जाएगा। जज आरोपों पर सुनवाई करेंगे और तय करेंगे कि आरोपी व्यक्तियों को जमानत दी जाए या नहीं। इस दौरान आरोपी आरोपों के जवाब में दोषी या निर्दोष होने का दावा करता है या नहीं, यह भी देखा जाएगा। यदि वे दोषी नहीं होने का दावा करते हैं, तो मामला जूरी ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगा।