गौरी लंकेश हत्याकांड में विशेष जांच दल को बड़ी सफलता मिली है। जांच अधिकारियों ने संदिग्ध को गिरफ्तार करने का दावा किया है। इसकी पहचान परशुराम वाघमारे (26) के तौर पर की गई है। परशुराम को कर्नाटक के बीजापुर जिले के सिंदागी तालुका से मंगलवार (12 जून) को दबोचा गया। उसे स्थानीय अदालत में पेश किया गया जहां से उसे 14 दिनों के लिए पुलिस हिरासत भेज दिया गया। अब उससे आगे की पूछताछ की जाएगी। हालांकि, इस हत्याकांड में उसकी भूमिका और अन्य ब्योरे को सार्वजनिक नहीं किया गया है। एसआईटी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि परशुराम ने ही वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश को गोली मारी थी। परशुराम से पूछताछ में बाइक पर बैठे एक अन्य शख्स और हत्या की साजिश के बारे में पता लगाने की कोशिश की जाएगी। सीसीटीवी फुटेज की जांच पड़ताल में शूटर की लंबाई 5.1 फीट होने की बात सामने आई है। जांच अधिकारी इसी आधार पर परशुराम को गौरी का कातिल मान रहे हैं। इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि स्टील के बरतन की दुकान में काम करने वाले परशुराम का संबंध किसी संगठन या संस्था से तो नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, परशुराम हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले चुका है।
बता दें कि परशुराम वर्ष 2012 में हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव पैदा करने की नीयत से सिंदागी के राजस्व अधिकारी के कार्यालय पर पाकिस्तानी झंडा फहराने का भी आरोपी है। उसके साथ छह और लोग थे। उस वक्त राष्ट्रीय हिंदू सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने स्पष्ट कर दिया था कि परशुराम श्री राम सेना का न तो समर्थक है और न ही सदस्य। गौरी लंकेश की हत्या पिछले साल 5 सितंबर की रात को कर दी गई थी। बाइक सवार अज्ञात हमलावरों ने उन पर उस वक्त गोलियां बरसाई थीं, जब वह बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर स्थित अपने घर के बाहर थीं। लंकेश साप्ताहिक समाचारपत्र ‘लंकेश पत्रिका’ की संपादक थीं। पुलिस ने बताया था कि गौरी लंकेश पर सात गोलियां चलाई गई थीं, जिनमें से तीन उनको लगी थीं। पत्रकार गौरी की हत्या के विरोध में देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए थे। देश के साथ विदेशों में भी इस हत्याकांड की निंदा की गई थी।