इनमें से एक आकाशगंगा तो ब्रह्मांड की रचना करने वाले ‘बिग बैंग’ यानी महाविस्फोट के संभवत: 35 करोड़ साल बाद बनी थी। खगोलविदों के मुताबिक, इन परिणामों की पुष्टि के बाद यह नई आकाशगंगा ‘हबल स्पेस टेलीस्कोप’ द्वारा पहचानी गई उस सबसे दूरस्थ आकाशगंगा से भी पहले बनी होगी, जो ब्रह्मांड निर्माण के 40 करोड़ साल बाद बनी थी।

हबल दूरबीन की जगह लेने के लिए वेब दूरबीन को अंतरिक्ष में पिछले साल दिसंबर में भेजा गया था। वेब दूरबीन से मिले संकेतों से पता चलता है कि सितारों के निर्माण की जो अवधि अभी तक समझी जाती थी, उनका निर्माण संभवत: उससे भी पहले शुरू हो गया था। वेब की इन नवीनतम खोजों के बारे में ‘हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फार एस्ट्रोफिजिक्स’ के रोहन नायडू के नेतृत्व वाले एक अंतरराष्ट्रीय दल ने एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में विस्तार से बताया है। इस लेख में असाधारण रूप से चमकीली दो आकाशगंगाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

माना जाता है कि इनमें से पहली आकाशगंगा बिग बैंग के 35 करोड़ वर्ष और दूसरी आकाशगंगा 45 करोड़ वर्ष बाद बनी। नायडू ने कहा कि इनके सबसे अधिक दूर स्थित होने का दावा करने से पहले वेब द्वारा इन्फ्रारेड में और अधिक अवलोकन किए जाने की आवश्यकता है। पत्रिका में कहा गया, ‘यह अब भी सबसे दिलचस्प सवाल बना हुआ है कि पहली आकाशगंगा कब बनी थी।’

नासा की वैज्ञानिक जेन रिग्बी ने कहा कि ये आकाशगंगाएं हबल से मानो छिप गई थीं। उन्होंने कहा, ‘वे हमारा इंतजार कर रही थीं। यह एक सुखद आश्चर्य है कि अभी कई आकाशगंगाओं का अध्ययन होना बाकी है।’आकाशगंगा गैस, धूल और अरबों सितारों का एक विशाल संग्रह होता है जो गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा एक साथ बंधे हुए होते हैं। आकाशगंगाएं इतनी विशाल होती हैं कि अरबों-अरब किलोमीटर तक फैली होती हैं।

मिल्की वे नामक आकाशगंगा के भीतर मौजूद अरबों अन्य सितारों में से हमारा सूर्य सिर्फ एक तारा है। जिस प्रकार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, उसी प्रकार सूर्य भी मिल्की वे के केंद्र की परिक्रमा करता है। जब हम रात के आकाश की ओर देखते हैं, तो जिन तारों को हम अपनी आंखों से देख सकते हैं, वे सभी मिल्की वे का हिस्सा हैं।

यदि आप कभी एक साफ, अंधेरी रात में खुले आसमान के नीचे हों, तो आपने तारों की एक पतली पट्टी और आकाश में फैले प्रकाश को देखा होगा। यह हमारी मिल्की वे आकाशगंगा है जिसे अंदर बाहर देखा जा सकता है। हम एक पतली रेखा देखते हैं क्योंकि हमारी आकाशगंगा एक पतली डिस्क के आकार की है, और हम डिस्क के किनारे को देख रहे हैं।

खगोलविदों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप को 11.3 दिनों के लिए आकाश के एक छोटे से टुकड़े पर इंगित किया और उन आकाशगंगाओं से प्रकाश एकत्र किया जो पास हैं और बहुत दूर हैं। आकाश का यह छोटा सा टुकड़ा आकाशगंगाओं से भरा हुआ था, लगभग 10,000, सभी विभिन्न आकारों और प्रकारों की। इस संख्या के आधार पर खगोलविदों ने पूरे आकाश में मौजूद आकाशगंगाओं की संख्या का अनुमान लगाया तो वह लगभग 100 से 200 अरब आकाशगंगाओं के बीच था। भविष्य में हम अपने ब्रह्मांड के बारे में और अधिक जानेंगे तो, यह संख्या लगभग निश्चित रूप से बदल जाएगी।