भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के अध्यक्ष पद से गजेंद्र चौहान को हटाने को लेकर चल रहे आंदोलन के चौथे महीने में प्रवेश कर जाने के बीच गुरुवार को संस्थान के तीन छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। उधर मशहूर फिल्म निर्माता अडूर गोपालकृष्णन ने सरकार पर बरसते हुए कहा कि वह ‘‘छात्रों को अपराधी’’ बनाने का प्रयास कर रही है।
पुणे स्थित संस्थान के आंदोलनरत छात्रों को उस समय नया समर्थन मिला जब गोपालकृष्णन ने कहा कि बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन सहित 190 लोगों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजा गया है। उन्होंने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि यह ज्ञापन प्रधानमंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री को भी भेजा जाएगा।
एफटीआईआई स्टुडेंट्स एसोसिएशन (एफएसए) के प्रतिनिधि रंजीत नायर ने पुणे में कहा, ‘‘हमारी भूख हड़ताल अनिश्चितकालीन है। तीन छात्रों… हीरल सवाद, अलोल आरोड़ा और हिमांशु शेखर को अगर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो दूसरे प्रदर्शनकारी उनकी जगह लेंगे।’’
एफटीआईआई निर्देशक प्रशांत पथराबे से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि छात्रों से भूख हड़ताल का पत्र मिलने के बाद हमने पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों को सूचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों को भी प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा भूख हड़ताल करने से अवगत करा दिया गया है।
एफटीआईआई प्रशासन को लिखे पत्र में एफएसए ने कहा कि वे मौजूदा संकट का तुरंत हल चाहते हैं। इसलिए छात्रों के पास भूख हड़ताल पर जाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि सरकार उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों पर ‘उदासीन’ है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने हालांकि कहा कि छात्रों के साथ बातचीत नाकाम रही क्योंकि छात्रों ने ‘‘बेहद कट्टर’’ रुख अपनाया। उन्होंने पणजी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘दुर्भाग्य से छात्रों ने काफी कट्टर रुख अपनाया। हम सभी मुद्दों के हल के लिए तैयार हैं। हमने उनके साथ कई बार बातचीत की है।’’
गोपालकृष्णन ने कहा कि गजेंद्र चौहान संस्थान के अध्यक्ष पद के लायक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि संस्थान के संचालक मंडल के अध्यक्ष रंगमंच, पेंटिंग, कला आदि में से कोई गणमान्य व्यक्ति हों। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा अध्यक्ष संस्थान के संचालन का दावा नहीं कर सकते क्योंकि वह अपनी भूमिका को भी नहीं समझते।
गोपालकृष्णन अतीत में इस संस्थान के निदेशक रह चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि अन्य ने भी (एफटीआईआई परिषद के सदस्यों) समाज में कोई योगदान नहीं किया है। यह एक प्रमुख फिल्म संस्थान है जिसे किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो कठिन दिनों में इसका संचालन कर सकें।’’
उन्होंने कहा कि आधी रात में छापा मारने के लिए परिसर में पुलिस भेजना यही दर्शाता है कि सरकार का इरादा ‘‘छात्रों को अपराधी बनाना है।’’
जानेमाने डॉक्यूमेंटरी निर्माता आनंद पटवर्धन ने आरोप लगाया कि शिक्षण संस्थानों को भगवा रंग देने की कोशिश की जा रही है और एफटीटीआई निकाय के अधिकतर सदस्यों में सिर्फ यही योग्यता है कि वे ‘‘भगवा एजेंडा से जुड़े हैं।’’
