वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण, यौन अपराधों को लिंग-तटस्थ बनाने से लेकर इच्छामृत्यु को वैध बनाने और राजद्रोह की परिभाषा पर पुनिर्विचार करने के लिए गृह मंत्रालय ने पांच सदस्य समिति का गठन किया है, जो आपराधिक कानूनों पर व्यापक स्तर पर अध्ययन करेगा। समिति ने ऐसे 49 तरह के अपराधों को पुनिर्विचार के लिए चुना है। इनमें से एक है कि क्या धारा 124ए के तहत देशद्रोह के अपराध की परिभाषा, दायरे और संज्ञान में संशोधन की आवश्यकता है?

समिति ने प्रमाणिक और प्रक्रियात्मक आपराधिक कानून और साक्ष्य पर कानून पर ऑनलाइन सार्वजनिक और विशेषज्ञों की सलाह भी मांगी है। लॉ यूनिवर्सिटी (दिल्ली) के वाइस चांसलर डॉक्टर रणबीर सिंह को समिति का प्रमुख बनाया गया है। पांच मई को गठित हुई समिति हिंसक घटनाओं के लिए विशेष कानूनों की शुरूआत पर भी विचार कर रही है, जिसमें मॉब लिंचिंग और ‘ऑनर किलिंग’ शामिल हैं।

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दिसंबर, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद को सूचित किया था कि सरकार भीड़ जुटाने से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए आईपीसी और सीआरपीसी में आवश्यक संशोधन विचार कर रही है, क्योंकि संसद के सदस्यों ने इस पर अंकुश लगाने के लिए एक अलग कानून बनाने का आह्वान किया था। शाह ने तब ब्रिटिश युग की विधियों को संशोधित करने के लिए सरकार के ‘संकल्प’ को भी रेखांकित किया था।

रणबीर सिंह समिति ने इस बात पर भी सुझाव मांगे हैं कि क्या अपराध करने के लिए आपराधिक जिम्मेदारी की न्यूनतम आयु में बदलाव की आवश्यकता है। साल 2015 में कानून में 16 साल से अधिक उम्र के किशोर के साथ जघन्य अपराधों के लिए वयस्क के रूप में व्यवहार करने और आजीवन कारावास या मौत की सजा दी गई थी।