Maharashtra Jharkhand Election: महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों की तारीखों की घोषणा आज चुनाव आयोग करने वाला है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और इलेक्शन कमीशन को नोटिस जारी किया है और याचिका को लंबित मामलों के साथ में टैग भी कर दिया है।
कर्नाटक के रहने वाले शशांक जे श्रीधर ने अपनी याचिका में कहा कि चुनाव से ठीक पहले फ्री वाली स्कीमों के ऐलान को रिश्वत घोषित करना चाहिए। यह मतदाता को एक तरह से रिश्वत का झांसा देना है। इसमें यह भी कहा गया कि फ्री की स्कीम से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। राजनीतिक पार्टियां अक्सर इस तरह की मुफ्त योजनाओं की घोषणा कर देती हैं और यह भी नहीं बताती हैं कि वह इनको पूरा कैसे करेंगे। याचिका में यह भी कहा गया कि पारदर्शिता की कमी ऐसे वादों को पूरा करने में समर्थ नहीं होती है। इससे वोटरों के साथ में धोखाधड़ी होती है।
चुनावी प्रक्रिया लेन-देन की प्रक्रिया बन कर रह जाती- याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह की स्कीम से चुनाव की प्रक्रिया लेन-देन की प्रक्रिया बनकर रह जाती है। फ्री की स्कीमों के चुनाव से पहले के वादों के बढ़ते खतरों के बाद भी चुनाव आयोग इस प्रथा को रोकने में कामयाब नहीं हो पाया है। इसमें कहा कि चुनाव इस तरह से कराए जाएं जिससे लोकतंत्र की अखंडता बनी रहे। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि चुनाव से कुछ समय पहले ही फ्री की योजनाओं पर रोक लग जानी चाहिए। ऐसी रोक सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों पर लागू होनी चाहिए।
बता दें कि महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक में ऐसी स्कीमें काफी ज्यादा देखी गई हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में एंट्री पर लगने वाले सारे टोल टैक्स लाइट मोटर व्हीकल के लिए माफ कर दिए हैं। इसके अलावा लड़की बहिन स्कीम की भी घोषणा की गई थी। इतना ही नहीं झारखंड में भी ऐसी ही स्कीमों का ऐलान किया गया है। हरियाणा के चुनावों में भी राजनीतिक पार्टियों ने कई तरह की स्कीमों का ऐलान किया था। सत्तारूढ़ दल से लेकर कांग्रेस पार्टी भी इसमें शामिल है।