दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को इंडियन मुजाहिदीन (IM) के चार आतंकियों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई। हालांकि फैसले ने उनकी रिहाई का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया, क्योंकि वो सभी पहले ही इतना समय जेल में काट चुके हैं। सारे दिल्ली की हाईटेक तिहाड़ जेल में बंद हैं।
स्पेशल जज शैलेन्द्र मलिक ने दानिश अंसारी, आफताब आलम, इमरान खान और ओबैद-उर-रहमान को आइपीसी और UAPA की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई। जज ने कहा कि दोषियों को 2013 में गिरफ्तार किया गया था। अगर अन्य मामलों में उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है तो उन्हें जेल में बिताई गई अवधि के आधार पर रिहा कर दिया जाए। एनआईए के मुताबिक 2012 में देशभर में आतंकवादी हमलों को अंजाम देकर ये सभी आतंकी सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश में थे।
आइपीसी के साथ UAPA एक्ट में भी नामजद किए गए थे सारे
स्पेशल कोर्ट ने 10 जुलाई को सभी को दोषी करार दिया था। एनआईए ने सितंबर 2012 में आइपीसी की धारा 121ए (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) और 123 (साजिश में सहयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया था। उन पर यूएपीए की धारा 17 (आतंकवाद के लिए धन जुटाना), 18 (आतंक फैलाने की साजिश), 18ए (आतंकी शिविर लगाने), 18बी (आतंकवाद के लिए लोगों की भर्ती) और 20 (आतंकवादी संगठन का सदस्य होना) के तहत भी आरोप लगाए गए। आरोपों में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
दोषियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि वो गरीब परिवारों से हैं। वकील ने अदालत से आग्रह किया कि सजा देते समय नरम रुख अपनाया जाए। जेल में उनके काटे गए समय के साथ इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाए कि उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया है। स्पेशल जज ने दोषियों के वकील की दलील को ध्यान में रखते हुए कहा कि अगर उनकी किसी और मामले में जरूरत नहीं है तो जेल से रिहा कर दिया जाए।
