पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब पर बनी फिल्म ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की चर्चा खूब है। मनमोहन सिंह के बतौर प्रधानमंत्री 10 साल के कार्यकाल को इस फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म के ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही सियासत जोर पकड़ने लगी है। एक ओर जहां बीजेपी इसे अपने ट्वीटर हैंडल से शेयर कर रही है, तो वहीं महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस ने फिल्म देखने के बाद इसे रिलीज करने का फरमान जारी किया है। इस दौरान फिल्म पर बढ़ते तकरार के बीच पूर्व प्रधानमंत्री से फिल्म के ट्रेलर को लेकर सवाल पूछे गए, लेकिन उन्होंने मौन धारण कर सवाल से किनारा कर लिया।
फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद लग रहा है कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में असली पावर सोनिया गांधी के हाथ में था। जितने भी विवादित पहलू यूपीए सरकार का था, उसका ठीकरा मनमोहन के सिर ही फोड़ दिया जाता था। फिल्म में दिखाया गया है कि अमेरिका के साथ परमाणु करार को लेकर मनमोहन और सोनिया के बीच मतभेद थे। फिल्म में कई जगहों पर मनमोहन सिंह समझौता करते नहीं दिखाई दे रहे हैं। ट्रेलर में वह एक जगह कहते हैं कि उनके लिए सबसे पहले देश है। हालांकि, उनकी पत्नी एक जगह कहती हैं कि आखिर पार्टी (कांग्रेस) इन्हें और कितना बदनाम कराएगी।
#WATCH Former Prime Minister Dr.Manmohan Singh evades question on the film #TheAccidentalPrimeMinister pic.twitter.com/IkYeNibGSj
— ANI (@ANI) December 28, 2018
ट्रेलर में कई जगहों पर गांधी परिवार को असली किंग के रूप में दिखाया गया है। मनमोहन सिंह एक जगह सोनिया गांधी से इस्तीफे की बात कह रहे हैं। इस दौरान सोनिया उनसे कहती हैं कि जब एक बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं तो ऐसे में राहुल को कैसे जिम्मेदारी दी जा सकती है। एक सीन में राहुल गांधी का मनमोहन सिंह कैबिनेट के एक अध्यादेश को फाड़ते हुए भी दिखाया गया है। दरअसल, सितंबर 2013 में राहुल गांधी ने तत्कालीन कैबिनेट के एक विवादित अध्यादेश को पत्रकार सम्मेलन में फाड़ दिया था। उस वक्त भी राहुल के इस कदम की काफी आलोचना हुई थी।