राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपने शताब्दी समारोह का मुख्य अतिथि बनाया है। आरएसएस इस साल अपनी स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह उत्सव 7.40 बजे रेशमबाग नागपुर में आयोजित किया जाएगा। आरएसएस चीफ मोहन भागवत भी इस उत्सव में अपना भाषण देंगे।

के.आर. नारायणन के बाद रामनाथ कोविंद देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति बने। उनकी नियुक्ति उस समय हुई जब देश में जाति और प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दे चर्चा में थे। आरएसएस पर पहले यह आरोप लगाया जाता था कि उसका नजरिया ब्राह्मणवादी है यानी वह ऊंची जातियों का पक्ष लेता है। लेकिन हाल के सालों में आरएसएस ने अपने सामाजिक समरसता यानी सभी जातियों में समानता और मेलजोल के अभियान के जरिये खुद को एक समावेशी संगठन के रूप में दिखाने की कोशिश की है। संघ के बड़े नेताओं ने कई बार कहा है कि जाति के आधार पर भेदभाव को खत्म करना सिर्फ एक रणनीति नहीं, बल्कि हिंदुओं की एकता के उनके मिशन का जरूरी हिस्सा है।

पिछले कुछ सालों में कौन रहा मुख्य अतिथि

साल 2024 में आरएसएस ने पूर्व इसरो चीफ के. राधाकृष्णन को ‘विजयदशमी’ समारोह में मुख्य अतिथि बनाया था। राधाकृष्णन ने ही पहली ही कोशिश में भारत को मंगल ग्रह तक पहुंचाया था। इनका पूरा नाम डॉ कोप्पिल्लील राधाकृष्णन है। वे प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक हैं। राधाकृष्णन का जन्म 29 अगस्त 1949 को केरल के इरिंजालकुड़ा में हुआ था।

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वहीं साल 2023 की बात करें तो संघ ने इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक और संगीतकार व पद्मश्री से सम्मानित शंकर महादेवन को मुख्य अतिथि बनाया था। वहीं, साल 2022 में इसी विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम में एवरेस्ट फतह करने वाली पद्मश्री संतोष यादव को इस आयोजन की मुख्य अतिथि बनाया गया था। संतोष यादव दो बार माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली महिला पर्वतारोही हैं। यह पहली बार था, जब किसी महिला को इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाया गया था।

कब हुई थी आरएसएस की स्थापना?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आमतौर पर संघ के नाम से जाना जाता है, एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है। इसकी शुरुआत 1925 में नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। ऐसा माना जाता है कि डॉक्टर हेडगेवार हिंदू राष्ट्रवादी विचारक विनायक दामोदर सावरकर के विचारों से प्रभावित थे। शुरुआत में हेडगेवार कुछ समय के लिए कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे, लेकिन विचारों में अंतर होने के कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और आरएसएस की स्थापना की। संघ से जुड़ी हर एक डिटेल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…