रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति बन गए हैं। आज (26 जुलाई) उन्हें चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में शपथ दिलाई। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। लेकिन एक वीवीआईपी मेहमान एेसा भी था, जो कोविंद के शपथ लेने के बाद पहुंचा। वह थीं पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के साथ सबसे आगे वाली लाइन में बैठी थीं। समारोह में मौजूद कई लोग उस वक्त हैरान रह गए, जब वह शपथ ग्रहण के बाद पहुंची। रामनाथ कोविंद पद की शपथ लेने के बाद राष्ट्रगान बजाया गया और फिर जय श्री राम के नारे लगाए गए। कोविंद सभी लोगों से मिले और उनका अभिवादन किया। इस समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं, जो अपनी पार्टी के सांसदों के साथ पीछे बैठी थीं। जबकि ज्यादातर मुख्यमंत्री आगे वाली लाइन में बैठे थे। जैसे ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सभा में आए, ममता बनर्जी के करीबी डेरेक ओ ब्रायन ने उन्हें अपने साथ बैठने का न्योता दिया। पीएम नरेंद्र मोदी के कड़े आलोचक माने जाने वाले ब्रायन और केजरीवाल सभा में लंबी बातचीत करते देखे गए।
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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी संसद के केंद्रीय कक्ष में अपनी ही जगह पर चार अन्य पार्टी सांसदों के साथ बैठे थे। ये लोग उन 6 सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने संसद में स्पीकर सुमित्रा महाजन पर कागज फेंके फेंके थे। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। इन सांसदों में एमके राघवन, गौरव गोगोई, सुष्मिता देव और रंजीत रंजन शामिल हैं। वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ बैठे थे। इसके अलावा एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू भी उन्हीं के साथ बैठे नजर आए। वेंकैया सोनिया गांधी से भी बातचीत करते देखे गए, जो उनकी सीट के पीछे बैठी थीं।
शपथ लेने के बाद कोविंद ने कहा, “हम सभी अलग हैं फिर भी एक और एकजुट हैं। ये हमारे पारंपरिक मूल्य हैं। इसमें न कोई विरोधाभास है और न ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है।” उन्होंने प्राचीन भारत के ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को साथ लेकर चलने की जरूरत पर बल देते हुए कहा, “हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज, जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय जी ने की थी।”
