पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने एक लेख में अर्थव्यवस्था के गिरते स्तर को लेकर चिंता जाहिर की और केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की। मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की ‘नीतियों की वजह’ से हमारा सामाजिक ताना-बाना उधेड़ रही है। मनमोहन सिंह ने ये भी आरोप लगाया कि निष्पक्ष संस्थानों, मीडिया और न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ है। बता दें कि ‘द हिंदू’ में लिखे एक लेख में मनमोहन सिंह ने सरकार पर ये गंभीर आरोप लगाए हैं।

संस्थाओं में जनता का विश्वास घटाः पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अपने लेख में लिखा है कि देश में बेबसी का माहौल है। पीड़ित नागरिक अपने गम का इजहार नहीं कर पा रहे हैं। लोगों का निष्पक्ष संस्थाओं जैसे मीडिया, न्यायपालिका, रेगुलेटरी संस्थाएं और जांच एजेंसियों में विश्वास घटा है। लोगों को गैरकानूनी टैक्स प्रताड़ना से राहत के लिए कोई सिस्टम नहीं है। मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में एन्टरप्रेन्योर्स में रिस्क लेने की क्षमता कम हुई है, जिससे नए प्रोजेक्ट शुरु नहीं हो रहे हैं और ना ही नई नौकरियां पैदा हो पा रही हैं।

मोदी सरकार की ‘गलत नीतियां’ जिम्मेदार: मनमोहन सिंह ने बताया कि देश के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने में मोदी सरकार की ‘गलत नीतियां’ जिम्मेदार हैं। उद्योगपतियों, बैंकर, पॉलिसीमेकर, एंटरप्रेन्योर्स और नागरिकों के बीच एक संदेह का माहौल है और इससे समाज में विश्वास पूरी तरह से खत्म हो रहा है। इससे आर्थिक विकास रुक गया है।

मोदी सरकार पुरानी सरकारों के हर काम को शक की नजर से देख रही है: पूर्व पीएम ने लिखा कि केन्द्र की मोदी सरकार पूर्व की सरकार के हर काम को शक और अविश्वास की नजर से देख रही है। जो भी लोन बांटे गए थे उन्हें गैरजरुरी माना जा रहा है। वहीं सरकार खुद नोटबंदी जैसी नीतियां लागू कर रही है, जो कि गलत साबित हो रही है। हमेशा ‘अच्छा प्रशासन वर्सेस बुरा प्रशासन’ का डॉक्टरिन एक स्वस्थ आर्थिक विकास के लिए सही नहीं हो सकता। मनमोहन सिंह ने लिखा है कि मुझे लगता है कि भारत की संवेदनशील आर्थिक स्थिति दो नीतियों की मांग करते है, जिसके तहत राजकोषीय नीति के द्वारा मांग को बढ़ाना और निजी निवेश के द्वारा सामाजिक नीतियों को बढ़ावा देकर समाज में भरोसा और विश्वास बढ़ाना शामिल है।