Coal Scam Case: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। वे देश के राजनीतिक और आर्थिक परिवेश में एक गहरी छाप छोड़ गए हैं। पूर्व पीएम पर लगे कोयला घोटाले के दाग को धोने की हसरत उनकी अधूरी ही रह गई। दिल्ली के एक कोर्ट ने उन्हें कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में आरोपी बनाया था। अगर उन्हें कोर्ट से राहत मिल जाती तो यह उनके साफ-सुथरे अतीत को बनाए रखने में मददगार साबित होता।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री को एक विशेष सीबीआई अदालत ने कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया था, जिसमें खनन अधिकारों को बिना पारदर्शिता के निजी कंपनियों को सौंप दिया गया था। सिंह ने तब मीडिया से कहा था, ‘मैं परेशान हूं, लेकिन यह जीवन का एक हिस्सा है।’ उन पर आपराधिक साजिश और विश्वासघात के आरोप में जांच चल रही थी।
सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की
2015 में सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जिसमें कहा गया कि किसी के खिलाफ़ मुकदमा चलाने लायक कोई सबूत नहीं है। यह मामला 2005 में ओडिशा के तालाबीरा ब्लॉक में एक कोयला क्षेत्र को आदित्य बिड़ला समूह के हिस्से हिंडाल्को को आवंटित करने से जुड़ा था, जबकि उस समय प्रधानमंत्री रहे सिंह के पास कोयला मंत्रालय का सीधा प्रभार था।
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सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
अप्रैल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह को समन भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। अक्टूबर 2015 में अदालत ने कहा कि कोयला सचिव गुप्ता ने सिंह को अंधेरे में रखा और गुप्ता व पांच अन्य के खिलाफ आरोप तय किए गए। 2017 में एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कोयला घोटाले से संबंधित एक मामले में गुप्ता, कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा और कोयला आवंटन के प्रभारी निदेशक केसी समरिया समेत कोयला मंत्रालय के तीन पूर्व अधिकारियों को दोषी ठहराया था। इससे सिंह को बड़ी राहत मिली थी।
जस्टिस दत्तू ने अपने रिटायरमेंट के बाद क्या कहा
अपने रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दत्तू ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था, ‘वे एक “बेहद साफ-सुथरी छवि वाले पूर्व प्रधानमंत्री” को ऐसे मामले में आरोपी के रूप में मुकदमे का सामना करते हुए नहीं देख सकते थे, जिसका आधार उनकी पार्टी के राजनीतिक फैसले थे। जस्टिस दत्तू ने कहा था, ‘मैं एक बहुत ही साफ-सुथरे पूर्व प्रधानमंत्री को ऐसे मामले में आरोपी के रूप में मुकदमे का सामना करते नहीं देख सकता था, जिसका आधार उनकी पार्टी के राजनीतिक फैसले थे।’ RTI के जनक और अर्थव्यवस्था के ‘सरदार’ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जुड़े ये 18 दिलचस्प फैक्ट जानते हैं आप?