कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से पूरे देश में फैल रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए देश को 3 मई तक के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री के इस फैसले को हड़बड़ी में लिया गया फैसला बताया है। काटजू ने ट्वीट कर लिखा “लॉक डाउन का फैसला हड़बड़ी में लिया गया था।” काटजू के यह ट्वीट करते ही यूजर्स उन्हें ट्रोल करने लगे।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की इस टिप्पणी पर एक यूजर ने लिखा “तो क्या अब तुमसे पूछकर फैसला करते।” वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा ” चाचा रेस्ट करो” इसपर एक यूजर ने लिखा “जब मुख्य न्यायाधीश थे तब इन्होंने बहुत रेस्ट किया अब काम पर लगे हैं।” एक यूजर ने लिखा “मार्कंडेय काट्जू की उलटबांसियां ! लॉक डाउन 1.0 खत्म होने के बाद लॉक डाउन 2.0 शुरू । और अब लॉक डाउन 1.0 पर हड़बड़ी की टिप्पणी।”

बता दें ये पहली बार नहीं है जब लॉकडाउन या कोरोना वायरस को लेकर काटजू ने ऐसी कोई टिप्पणी की है। इससे पहले बिना किसी का नाम लिए कोरोना संकट के बीच उन्होंने कहा कि कोरोना का भी खतना कर दिया गया है। तीन अप्रैल को किए ट्वीट में उन्होंने लिखा था, “कोरोना का भी खतना कर डाला। हरि ऊं।” ट्विटर पर ट्रोल्स ने इस बात को लेकर भी उन्हें निशाने पर ले लिया था। इसके अलावा काटजू ने कुछ दिन पहले एक लेख लिखा था। जिसमें उन्होंने मीडिया पर कोरोना संकट को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया था।

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लेख में काटजू ने लिखा था कि कोरोना संकट के इस बेहद कठिन दौर में भी मीडिया का एक वर्ग अपनी पूरी ताकत के साथ यह बताने की कोशिश कर रहा है कि इस वायरस के संक्रमण के लिए तब्लीग़ी जमात पूरी तरह जिम्मेदार है। इस वर्ग ने मुसलमानों को आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी नागरिकों के रूप में प्रस्तुत किया है। इसके बाद देश भर में मुसलमानों पर हमले और उनसे भेदभाव किए जाने की ख़बरें सामने आई हैं।