Ex Army Chief Manoj Mukund Narvane: पूर्व आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर उठ रहे सवालों की कड़ी निंदा की है और कहा कि युद्ध रोमांटिक नहीं है और यह कोई बॉलीवुड फिल्म नहीं है। पुणे में रविवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि अगर आदेश दिया गया तो वह युद्ध के लिए जाएंगे, लेकिन कूटनीति उनकी पहली पसंद होगी।

पूर्व आर्मी चीफ ने कहा, ‘जब वास्तव में युद्ध छिड़ता है, तो मौतें और विनाश होता है। इसकी अपनी लागत होती है। अगर हम हफ्तों और महीनों तक चलने वाले लंबे, खींचे जाने वाले संघर्ष में उलझे रहते हैं, तो कल्पना करें कि हर नुकसान का तत्काल क्या मतलब होगा और जब युद्ध के आखिर में आपको इन सभी नुकसानों की भरपाई करनी होगी, तो इसका क्या मतलब होगा।’

नुकसान बहुत ज्यादा होने से पहले फैसला लेना सही – जनरल नरवणे

जनरल नरवणे ने कहा कि कई लोग पूछ रहे हैं कि सैन्य शत्रुता खत्म करना सही है या गलत। उन्होंने कहा, ‘यदि आप तथ्यों और आंकड़ों पर ध्यान दें, तो आपको एहसास होगा कि नुकसान बहुत ज्यादा या असहनीय होने से पहले ही यह फैसला लेना बुद्धिमानी है। मुझे लगता है कि हमने इन हमलों से पाकिस्तान को यह साबित कर दिया है कि हमने न केवल उनके आतंकवादी ढांचे पर बल्कि उनके क्षेत्र में गहरे स्थित उनके एयर पोर्ट पर भी हमला किया है, कि उन्हें जो कीमत चुकानी पड़ेगी वह बहुत ज्यादा होगी। यही बात उन्हें मजबूर कर रही थी और आखिरकार उनके डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ को इस बात पर चर्चा करने के लिए बुलाया कि क्या ऐसा संघर्ष समाप्त करना संभव है।’

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मनोज मुकुंद नरवणे ने पुणे के कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, ‘जो जानें चली जाती हैं। वे बच्चे जो अपने माता-पिता को खो देते हैं। वे बच्चे जो खुद सीमावर्ती क्षेत्रों में अंधाधुंध गोलाबारी में मारे जाते हैं। कोई भी वास्तव में इस पर ध्यान नहीं देता। आबादी एक-जगह से दूसरी जगह पर जाती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में काफी डर रहता है।’

युद्ध रोमांटिक बॉलीवुड मूवी नहीं – पूर्व आर्मी चीफ

पूर्व आर्मी चीफ ने अपने भाषण को खत्म करते हुए कहा, ‘तो देवियों और सज्जनों, युद्ध रोमांटिक नहीं है। यह कोई बॉलीवुड फिल्म नहीं है। यह बहुत गंभीर मामला है, और युद्ध या हिंसा आखिरी चीज होनी चाहिए जिसका हमें सहारा लेना चाहिए। इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है, हालांकि युद्ध हम पर नासमझ लोगों द्वारा थोपे जाएंगे, लेकिन युद्ध वह नहीं होना चाहिए जिसका आप स्वागत करें। फिर से लोग पूछ रहे हैं कि हमने पूर्ण युद्ध क्यों नहीं किया। लेकिन एक सैन्य व्यक्ति के रूप में अगर आदेश दिया जाता है, तो मैं युद्ध में जाऊंगा, लेकिन यह मेरी पहली पसंद नहीं होगी। मेरी पहली पसंद हमेशा कूटनीति होगी। बातचीत के माध्यम से मतभेदों को कैसे सुलझाया जाए।’ कश्मीर में सन्नाटे के बीच मिनी हिल स्टेशन पर सैलानियों का सैलाब