बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। अपने बेबाक बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले पांडे ने अब अपने आप को धर्म और अध्यात्म से जोड़ लिया है। अब वो कथा वाचन कर रहे हैं। जब मीडिया ने उनसे इसे लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यह उनका पैशन रहा है। जब मेरी उम्र 12 साल की थी तब से मैं प्रवचन दे रहा हूं।
गुप्तेश्वर पांडे ने एंकर से कहा कि आप को यह नया भी लग रहा है और अवतार भी लग रहा है, क्योंकि आप मुझे नहीं जानती हैं। जो लोग मुझे बचपन से जानते रहे हैं, उन्हें पता है कि इस विषय में मेरी रुचि बचपन से रही है। मुझे याद है जब मैं 12 साल का था तब से मैं लोगों को प्रवचन सुनाता था। उन्होंने कहा कि मैं कोई पैसा लेकर कथा कहने वाला नहीं हूं। उन्होंने कहा कि कथा वाचन करना भगवान के गुण को बताना है।
जब उनसे सवाल किया गया कि खाकी को आपने छोड़ दिया, क्या अब ये माना जाए कि अब राजनीति में भी आपकी कोई दिलचस्पी नहीं है? उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि देश, काल और हालात के अनुसार कोई एक गुण जीव में प्रधानता प्राप्त करता है। रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण के आधार पर हालात बदलते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भगवान के अलावा अब किसी भी चीज में मेरी इच्छा नहीं है।
बताते चलें कि पांडे 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर थे। बिहार के कई जिलों में उन्होंने काम किया था। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। बाद में वो जदयू में शामिल हो गए थे। उसके बाद ये माना जा रहा था कि वो जदयू के उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
लेकिन बाद में पार्टी की तरफ से उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया। इससे पहले भी साल 2009 में उन्होंने लोकसभा चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़ने के लिए वीआरएस ले लिया था। लेकिन उस समय भी उन्हें टिकट नहीं मिला था। पिछले साल फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की हुई मौत के बाद पांडेय अपने बयानों को लेकर काफी चर्चा में आ गए थे।