भारत के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल पर बात की। सीजेआई गवई ने सोशल मीडिया हमलों और AI के गलत इस्तेमाल से लेकर ज्यूडिशियरी में पॉलिटिकल दखल के आरोपों जैसी आज की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने काम से संतुष्टि जताई।

समाचार एजेंसी IANS के साथ अपने इंटरव्यू में जस्टिस गवई ने संवैधानिक मूल्यों, बुलडोजर जस्टिस, कोर्ट में महिलाओं के रिप्रेजेंटेशन और समाज सेवा के अपने प्लान के बारे में बात की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोर्ट को पॉलिटिकल मुकाबलों का प्लेटफॉर्म नहीं बनना चाहिए और भारत का संविधान सुरक्षित है।

कोर्ट में राजनीतिक मामलों पर गवई का बड़ा बयान

गवई से सवाल पूछा गया कि हमने कई बार ज्यूडिशियरी को पॉलिटिक्स में घसीटते हुए देखा है। विपक्ष के नेता (LoP) राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया, लेकिन कोर्ट में केस नहीं किया। क्या आपको लगता है कि ज्यूडिशियरी को बेवजह पॉलिटिक्स में घसीटा जा रहा है?

इसके जवाब में गवई ने कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि कोर्ट को पॉलिटिकल लड़ाई का ज़रिया नहीं बनाना चाहिए। ज्यूडिशियरी का इस्तेमाल पॉलिटिकल लड़ाई के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ये वोटर्स के सामने लड़े जाने चाहिए। ऐसे कई मामले हुए हैं जहां नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए गए। मैंने खुलकर कहा है कि न तो सेंट्रल और न ही स्टेट की इन्वेस्टिगेशन एजेंसियों का पॉलिटिकल मकसद के लिए गलत इस्तेमाल होना चाहिए। अपने कार्यकाल के दौरान मैंने ऐसे दो केस देखे – एक कर्नाटक के सीनियर नेताओं से जुड़ा था जिन पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की कार्रवाई हुई थी और दूसरा रूलिंग पार्टी के एक MP से जुड़ा था। दोनों मामलों में, मैंने यह साफ कर दिया कि इन्वेस्टिगेशन मशीनरी का इस्तेमाल पॉलिटिकल हिसाब बराबर करने के लिए नहीं किया जा सकता। मैंने दोनों मामलों में राहत दी क्योंकि पॉलिटिकल झगड़े लोगों के सामने सुलझने चाहिए – कोर्ट में नहीं।”

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चंद्रचूड़ के घर जाने के पीएम के फैसले पर क्या बोले गवई?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ के घर जाने के सवाल पर गवई ने कहा, “मैं किसी एक मामले पर कमेंट नहीं करना चाहता। एग्जीक्यूटिव, लेजिस्लेचर और ज्यूडिशियरी — ये तीनों संस्थाएं इस देश के नागरिकों को न्याय दिलाने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए काम करती हैं। ये संस्थाएं इंडिपेंडेंट हैं और अपने-अपने दायरे में काम करते हुए संवैधानिक ड्यूटी भी निभाती हैं। इसलिए अगर वे मिलते भी हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”

जजों की आलोचना पर क्या बोले पूर्व सीजेआई गवई?

जजों की आलोचना के सवाल पर पूर्व सीजेआई गवई ने कहा, “फैसलों की आलोचना का हमेशा स्वागत है। जज भी इंसान हैं, और वे गलत फैसला ले सकते हैं। लेकिन पर्सनल लेवल पर जजों की आलोचना करना और उन्हें ट्रोल करना सही नहीं है। यह सही नहीं है।”