भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने अपनी पुस्तक में एसपीजी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत को लेकर सनसनीखेज खुलासे किए हैं। टीएन शेषन ने अपनी पुस्तक में जिक्र किया है कि 1988-89 में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम (ACT) का मसौदा तैयार करते समय उन्होंने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया था। शेषन ने तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी को पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्राप्त करने वालों के रूप में शामिल करने की सलाह दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी इस महत्वपूर्ण सलाह को खारिज कर दिया था, ताकि उन पर यह आरोप न लगे कि वो अपनी निजी फायदे के लिए ऐसा कर रहे हैं। पूर्व चुनाव आयुक्त शेषन की आत्मकथा में इस बात का जिक्र किया गया है।

शेषन ने अपनी किताब में कई बातों का जिक्र किया

रूपा द्वारा मरणोपरांत प्रकाशित अपनी पुस्तक “थ्रू द ब्रोकन ग्लास (Through the Broken Glass)” में शेषन ने लिखा है कि उन्होंने राजीव गांधी को पद छोड़ने के बाद भी संभावित जोखिमों के बारे में चेतावनी दी थी। साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका का उदाहरण दिया था, जहां एफबीआई पूर्व राष्ट्रपतियों के परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना जारी रखे हुए है।

शेषन ने अपनी किताब में लिखा, ‘मैंने तर्क दिया चुनाव हारने के बाद भी राजीव और उनके परिवार को सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता होगी। लेकिन राजीव गांधी उनके इस तर्क से सहमत नहीं हुए। उन्होंने सोचा कि लोग भरोसा करेंगे कि वो निजी हित के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा देने के लिए न कहा। शेषन ने कहा कि मैंने राजीव गांधी को मनाने की कोशिश की, लेकिन वो कोशिश व्यर्थ रही। शेषन उस वक्त पर्यावरण और वन और वन्यजीव मंत्रालय में सचिव थे और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के प्रभारी भी थे।

शेषन की सलाह को अस्वीकार करने के राजीव गांधी के फैसले का बाद में उनके लिए महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, क्योंकि कांग्रेस अक्सर उनकी हत्या के पीछे के कारण के रूप में वीपी सिंह सरकार द्वारा उनके एसपीजी सुरक्षा कवर को वापस लेने का आरोप लगाती है।

शेषन ने राजीव गांधी की सुरक्षा को लेकर की थी वकालत

शेषन ने यह भी खुलासा किया कि वीपी सिंह सरकार के कैबिनेट सचिव के रूप में उन्होंने राजीव गांधी की सुरक्षा बनाए रखने की वकालत की थी, लेकिन सरकार सहमत नहीं थी। सिंह के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन बाद 3 दिसंबर, 1989 को शेषन की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई थी। जिसमें राजीव को सुरक्षा प्रदान करना जारी रखा जाए या नहीं इस पर चर्चा की गई थी। इस बैठक में शेषन ने तर्क दिया था कि पूर्व पीएम के लिए सुरक्षा खतरा अभी भी कम नहीं हुआ है।

पूर्व चुनाव आयुक्त शेषन अपनी किताब में आगे लिखते हैं, ‘मैंने संकेत दिया कि राष्ट्रपति की सहमति के माध्यम से विधियों (कानून) को आसानी से संशोधित किया जा सकता है, लेकिन वीपी सिंह सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। जब तक मैं कैबिनेट सचिव रहा यानी दिसंबर के तीसरे हफ्ते तक राजीव की सुरक्षा को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ। जब मुझे कैबिनेट सचिव के पद से हटा दिया गया तो राजीव को दी गई एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई।’

ज्योतिष और राशिफल में रूचि रखते थे टीएन शेषन

शेषन ने अपनी किताब में ज्योतिष और राशिफल पढ़ने के बारे में भी संकेत दिया। उन्होंने अपनी पुस्तक में राजीव गांधी की असामयिक मृत्यु होने को लेकर पहले से ही संकेत दिया था। टीएन शेषन ने अपनी पुस्तक में आगे लिखते हैं, ‘सीईसी (मुख्य चुनाव आयुक्त) के रूप में मेरे लिए यह मायने नहीं रखता था कि राजीव गांधी जीते या हारे…एक दोस्त और शुभचिंतक के रूप में मुझे राजीव के लिए चीजें अच्छी होने की उम्मीद थी। कुंडली में मेरी रुचि के कारण मेरे लिए यह देखना स्वाभाविक था कि राजीव के बारे में सितारों ने क्या भविष्यवाणी की थी।

शेषन की बात पर राजीव गांधी बोले- मैं दो बार नहीं मरूंगा

शेषन ने 10 मई, 1992 को राजवी गांधी से मुलाकात की थी। साथ ही उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान के जोखिमों के बारे में अवगत कराया था कि वो चुनाव प्रचार न करें, लेकिन राजीव गांधी ने शेषन की सलाह को दरकिनार करते हुए कहा कि मैं दो बार नहीं मारूंगा। इसके अलावा शेषन ने राजवी गांधी के मनाने के और भी कोशिश में की। जिसमें 17 मई, 1991 को कांचीपुरम शंकर मठ से सावधानी बरतने का अनुरोध करते हुए एक फैक्स भेजना शामिल था।

राजीव गांधी के अंतिम संस्कार में शामिल न होने का दुख

शेषन ने लिखा, ‘इसको लेकर फैक्स फिर से सीधे उन्हें भेजा गया और वह 17 मई को उनकी टेबल पर पहुंच गया। हालांकि, इससे पहले कि वह इसे पढ़ पाते, 21 मई की देर शाम श्रीपेरंबुदूर में हुए बम विस्फोट में उनकी मौत हो गई। शेषन ने लिखा कि मैं दुःखी था। मैं दाह संस्कार में शामिल नहीं हुआ और पूरा दिन घर पर ही बिताया।