तिहाड़ जेल में कैद सेना के एक पूर्व अधिकारी मुकेश चोपड़ा की मौत के चार दिन बाद मैजिस्ट्रियल जांच मे पुलिस ने चौंकाने वाले दावे किए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक 64 साल के चोपड़ा एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के गेस्ट-हाउस में रुके हुए थे। गेस्ट हाउस में कमरा ARC के साथ काम कर चुके एक रिटायर्ड अधिकारी के नाम पर बुक किया गया था। सूत्रों का कहना है कि चोपड़ा एक सोशल मीडिया ऐप के जरिए चीन के एक शख्स से बातचीत कर रहे थे।
गौरतलब है कि 2 नवंबर को दिल्ली छावनी स्थित मानेकशॉ सेंटर से रणनीतिक रूप से जुड़ी किताबें चुराते हुए मुकेश चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया था। कनाडा से संबंध रखने वाले मुकेश चोपड़ा से पुलिस ने कस्टडी में तीन दिनों तक पूछताछ की। उन्हें 6 नंवबर और न्यायिक हिरासत में भेजा गया और उनकी जेल में मौत हो गई। चोपड़ा के भाई और वकील उनकी मौत पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं, वहीं पुलिस का कहना है कि वह चीन के लिए जासूसी कर रहे थे।
8 नवंबर को उनके वकील दीपक त्यागी ने तिहाड़ जेल प्रशासन के उस दावे पर सवाल उठाए कि चोपड़ा जेल की बिल्डिंग से छलांग लगाकर कूद गए। वह कहते हैं, “अगर उन्होंने उन पर चीन सरकार की जासूसी करने का आरोप लगाया था, तो उन्हें एक सुरक्षित वार्ड में रखा जाना चाहिए था। हमने यह भी पाया कि अस्पताल ले जाने के दौरान उन्हें उचित मेडिकल सुविधा नहीं दी गई थी।” उनके भाई रंगनेश चोपड़ा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, “पुलिस कस्टडी में मेरे भाई से एक दिन में 15 घंटे से अधिक पूछताछ की जाती थी। वह सिर्फ 5 घंटे ही सो पाते थे। मेरे भाई एक पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी थे और उन्हें जासूस बताया गया।”
वहीं, पुलिस का दावा है कि गिरफ्तारी के वक्त चोपड़ा की पास से चार मोबाइल फोन बरामद किए गए। पुलिस के मुताबिक, “चोपड़ा ने जानकारी दी कि उन्होंने पैराशूट रेजिमेंट के साथ बतौर कैप्टन अपनी सेवा दी थी और लेह में तैनात थे। 1983 में वह सेवा से मुक्त हो गए। उन्होंने दावा किया था कि उनकी छतरपुर और ग्रेटर कैलाश में प्रॉपर्टी है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास 65 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट भी है।
पुलिस का कहना है कि मुकेश चोपड़ा 1983 में अपनी पत्नी और बेटी के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए और बाद में एक अमेरिकी पासपोर्ट भी हासिल किया। उनके पास ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड भी था। उनके पासपोर्ट में 2025 तक लॉन्ग-टर्म वीजा का जिक्र भी था। पुलिस ने बताया कि चोपड़ा की निजी डायरी में चाइनीज यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के कुछ सदस्यों के नाम मिले थे। यही भी जनाकरी दी गई है कि वह 2007 से भारत का दौरा कर रहे थे और इस दौरान उन्होंने कुल 15 दौरे किए।