Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक में शामिल एक पायलट और वैवाहिक विवाद में उलझी उसकी पत्नी से कहा कि वो एक-दूसरे को माफ करें और आगे बढ़ें। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने दंपति से कहा कि वे आपसी विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लें। कोर्ट ने दोनों को पुरानी बातें भूलकर, आगे बढ़ने की सलाह दी।

शीर्ष अदालत वायुसेना अधिकारी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी पत्नी, जो आईआईएम पासआउट हैं और एक आईटी फर्म में कार्यरत हैं। उसने पायलट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी,जिसको वायुसेना अधिकारी ने रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।

वकील अंशुमान सिंह के माध्यम से याचिका दायर करने वाले अधिकारी ने दलील दी कि वह और उनके परिवार के सदस्य अपनी पत्नी और ससुर के हाथों लगातार मानसिक उत्पीड़न का शिकार हैं, जो कानून का दुरुपयोग करके बदला लेने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

याचिका की प्रकृति को देखते हुए जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि यह शत्रु मुकदमे जैसा है और दंपति से कहा कि वे सौहार्दपूर्ण ढंग से विवाद सुलझा लें और जीवन में आगे बढ़ें।

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पीठ ने कहा, ‘बदले की ज़िंदगी मत जियो। तुम दोनों जवान हो और तुम्हारे सामने लंबी ज़िंदगी है और तुम्हें अच्छा जीवन जीना चाहिए। तुम बस एक-दूसरे को माफ़ कर दो, भूल जाओ और आगे बढ़ो।’ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज किए जाने के बाद पायलट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

याचिका में कहा गया है कि महिला अधिकारी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दिल्ली और हरियाणा के नामौल की विभिन्न अदालतों में झूठी शिकायतें और मामले दर्ज कराती रही है और जब उसे अदालतों से कोई राहत नहीं मिली, तो उसने भारतीय वायु सेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष बार-बार झूठी शिकायतें दर्ज कराईं। याचिका में कहा गया है कि एफआईआर कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस मामले में आपराधिक कार्यवाही जारी रखना न्याय के हित में अनुचित होगा। वहीं, कैंपस में स्टूडेंट्स के आत्महत्या मामलों पर सुप्रीम कोर्ट 15 गाइडलाइंस जारी की हैं। पढ़ें…पूरी खबर।