विदेश मंत्री एस जयशंकर से सोमवार को जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं निश्चित रूप से आपको बता सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, हमनें वहां कोई ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग नहीं देखा।’’ जेएनयू परिसर में रविवार को हुई हिंसा के बाद संस्थान के पूर्व छात्र जयशंकर ने फौरन इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि यह पूरी तरह से विश्वविद्यालय की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है।

दक्षिणपंथी दलों द्वारा विपक्ष, खास तौर पर वाम और वाम सर्मिथत संगठनों के साथ ही उनका समर्थन करने वालों के लिये ‘‘टुकड़े-टुकड़े’’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जयशंकर ने एक किताब के विमोचन के कार्यक्रम में यह भी कहा कि चीन के विपरीत भारत ने अनुच्छेद 370, अयोध्या और जीएसटी जैसे मुद्दे को काफी लंबे समय तक खिंचने दिया।

इससे पहले रविवार को भी विदेश मंत्री जेएनयू हिंसा पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं। मैं हिंसा की निंदा करता हूं। यह यूनिवर्सिटी की संस्कृति और परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है।’ जेएनयू की पूर्व छात्रा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी छात्रों पर हुए हमले की निंदा की। उन्होंने कहा ‘ हिंसा की तस्वीरें भयावह हैं और सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित स्थान बने।’

वहीं अज्ञात नकाबपोश द्वारा शिक्षकों और छात्रों के साथ हुई मारपीट के बाद स्टूडेंट्स डरे हुए हैं। स्टूडेंट्स हॉस्टल छोड़कर जा रहे हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि वह मार नहीं खाना चाहते इसलिए हॉस्टल छोड़कर जा रहे हैं। इस हमले में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष भी घायल हो गईं। बेटी पर हुए हमले की पिता ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि आज मेरी बेटी पर हमला हुआ है, कल मुझे भी पीटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज देशभर की यूनिवर्सिटीज में स्थितियां बदल रही हैं।