सोशल मीडिया में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इतिहासकार रामचंद्र गुहा के बीच देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल से जुड़े मामले में खूब बहस हुई। दरअसल बुधवार (12 फरवरी, 2020) को जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि पूर्व की राजनीति का इतिहास लिखने के लिए ईमानदारी चाहिए। जैसा कि वीपी मेनन ने कहा, ‘जब सरदार पटेल का निधन हुआ तो उनकी स्मृतियों को मिटाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए गए। मैं यह जानता हूं क्योंकि मैंने यह देखा है, मैं खुद इसका शिकार हुआ हूं।’

एक अन्य ट्वीट में विदेश मंत्री ने कहा कि वीपी मेनन की जीवनी से पता चलता है कि साल 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि सरदार पटेल उनकी कैबिनेट में शामिल हों। शुरुआती कैबिनेट लिस्ट में भी उनका नाम नहीं था। जाहिर है कि ये बहुत बड़ी बहस का विषय है।

पूर्व नौकरशाह एस जयशंकर दरअसल लेखक और इतिहासकार नारायणी बसु की वीपी मेनन पर लिखी जीवनी का विमोचन करने पहुंचे थे। किताब विमोचन की एक तस्वीर उन्होंने ट्विटर पर भी शेयर की। इस दौरान उन्होंने लिखा कि पटेल के मेनन और नेहरू के मेनन में भारी विषमता रही। वास्तव में एक ऐतिहासिक व्यक्ति द्वारा बहुप्रतीक्षित न्याय हुआ।

इसी बीच किताब में लिखे दावों और जयशंकर के ट्वीट पर रामचंद्र गुहा ने सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि यह सिर्फ एक मिथक है, जिसे द प्रिंट में प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन द्वारा बड़े पैमाने पर ध्वस्त किया है। इसके अलावा उनके बारे में फर्जी खबरों के बढ़ावा देना और दोनों (नेहरू-पटेल) के बीच झूठी प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा देने का काम आधुनिक भारत के बिल्डरों का है ना की विदेश मंत्री का। इन सब को भाजपा के आईटी सेल के लिए छोड़ देना चाहिए।

गुरुवार (13 फरवरी, 2020) को एक अन्य ट्वीट में रामचंद्र गुहा ने एक लेटर शेयर करते हुए लिखा, ‘एक अगस्त का पत्र जहां नेहरू ने पटेल को आजाद भारत के पहले मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए उन्हें न्योता दिया। लेटर में पटेल को उस मंत्रिमंडल का ‘सबसे मजबूत स्तंभ’ कहा।’ ट्वीट में आगे लिखा गया कि क्या कोई ये विदेश मंत्री को दिखा सकता है?

गुहा के इस ट्वीट पर जयशंकर ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि कुछ विदेश मंत्री किताबें पढ़ते हैं। कुछ प्रोफेसरों के लिए भी ये अच्छी आदत हो सकती है। इस पर रामचंद्र गुहा ने तंज कसते हुए लिखा, ‘सर, क्योंकि आपने जेएनयू से पीएचडी की है, तो आपने मुझसे ज्यादा किताबें जरूर पढ़ी होंगी। ट्वीट में आगे लिखा गया, ‘उनमें से नेहरू और पटेल के पत्राचार भी रहे होंगे, जो बताते थे कि नेहरू किस तरह से पटेल को अपने पहले मंत्रिमंडल का ‘सबसे मजबूत स्तंभ’ बनाने चाहते थे। उन किताबों से फिर सलाह लें।’