भारत ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अमेरिका में विदेश मामलों की कांग्रेस समिति के साथ बैठक रद्द कर दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बोलने वाली समिति से मुलाकात करने से इनकार कर दिया है। इस समिति में भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य प्रमिला जयपाल भी शामिल है। प्रमिला जयपाल ने भारत की तरफ से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में लागू किए गए प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव भी पेश किया था।
भारत के इस कदम पर डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एलिजाबेथ वारेन ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रमिला जयपाल का मुंह बंद करने का प्रयास बहुत मुश्किलें पैदा करने वाला है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका की साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण है- लेकिन हमारी साझेदारी तभी सफल हो सकती है जब इसकी बुनियाद ईमानदार बातचीत पर आधारित हो। हम धार्मिक बहुलतावाद, लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सम्मान करें।
वाशिंगटन पोस्ट ने जयशंकर की तरफ से मनामाने ढंग से मीटिंग रद्द किए जाने की खबर दी। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस उस मांग को ठुकरा दिया था जिसमें प्रमिला जयपाल को इस समिति से बाहर रखने की मांग की गई थी।
अमेरिका की विदेश मामलों की समिति हमेशा से भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों की वकालत करती रही है। इस समिति में शामिल प्रमिला जयपाल पिछले कुछ महीने में भारत सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर को लेकर उठाए गए कदमों की आलोचना करती रही हैं। वहीं, विदेश मामलों की समिति ने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भी आलोचनात्मक रुख अपनाया था।
समिति ने पिछले सोमवार को ट्वीट में लिखा था कि धार्मिक बहुलतावाद भारत और अमेरिका की जड़ों में बसें हैं। यह उन मूल्यों में एक हैं जिन्हें दोनों देश आपस में साझा करते हैं। समिति ने कहा था कि नागरिकता के लिए कोई भी धर्म के आधार पर जांच इस सबसे बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत को कमजोर करता है।