Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शनों पर अब विदेशी राजनयिकों ने भी अपनी जिंदा जाहिर की है। कई राजनयिकों का मानना है कि अनुच्छेद 370 और बालाकोट एयरस्ट्राइक की तर्ज पर सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण ना देने के कारण अविश्वास बढ़ा है। हालांकि राजनयिकों ने यह भी है कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है। ‘The Indian Express’ से बातचीत करते हुए करीब 16 देशों के राजदूतों और राजनयिकों ने नए कानून को लेकर चल रहे प्रदर्शन पर अपनी चिंता जाहिर की है।

इन राजनयिकों का मानना है कि सरकार ने पुलवामा हमला, बालाकोट एयरस्ट्राइक, जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म करने और यहां तक की अयोध्या फैसले पर भी स्पष्टीकरण दिया लेकिन सीएए और उसके असर पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। G-20 देशों में शामिल एक राजदूत ने कहा कि ‘भारत सरकार ने कश्मीर और अयोध्या फैसले पर हमसे विस्तार से चर्चा की और कहा कि यह हमारा घरेलू मामला है। लेकिन उन्होंने सीएए पर हमें कुछ भी विस्तार से नहीं बताया। जबकि सीएए एक अंतरराष्ट्रीय पहलू बन चुका है। क्योंकि इसमें भारत के तीन पड़ोसी देशों के बारे में कहा गया है।’

G-20 और P-5 ग्रुप में शामिल राजनयिकों और प्रतिनिधियों का मानना है कि यह मामला काफी संवदेनशील है और किसी तरह की गलतफहमी द्विपक्षीय रिश्तों पर असर डाल सकती है। इनमें से कई राजनयिकों ने कहा है कि प्रदर्शन सिर्फ मुस्लिम समुदायों तक ही सीमित नहीं है बल्कि कानून के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय तौर पर भी आवाज उठ रहे हैं। इसके तहत पहला राजनयिक नुकसान यह हुआ कि बांग्लादेश के गृहमंत्री और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अपना दौरा रद्द कर दिया।

कई विदेशी राजनयिक यह मानते हैं कि इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हो रही आलोचना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाबदेह हो सकते हैं, लेकिन वो गृहमंत्री अमित शाह को लेकर कन्फर्म नहीं है। एक राजनयिक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया हमसे पूछती है कि मोदी सरकार कितना राजनीतिक और डिप्लोमैटिक खतरा मोल सकती है।

राजनयिकों का मानना है कि सीएए को लेकर लिखे जा रहे आलेख और प्रदर्शन की तस्वीरों पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भी नजर है। अन्य बड़े मुद्दों की तरह इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के ना मिलने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के कई मित्र राष्ट्र इस मुद्दे को लेकर भारत का बचाव कर पाने में असमर्थ हैं। यूरोप के देशों से जुड़े एक राजनयिक ने कहा कि हर गुजरते दिन के साथ सरकार की स्थिति कमजोर होती जा रही है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई, उन्हें टॉर्चर किये जाने की तस्वीरें सामने आ रही हैं जिसकी वजह से सरकार की आलोचन हो रही है।

हालांकि अभी तक बांग्लादेश और मलेशिया को छोड़कर किसी भी देश ने नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना खुले मंच से नहीं की है। लेकिन यूएस, यूके, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भारत में यात्रा करने वाले अपने मुल्क के लोगों को यात्री संबंधी दिशा-निर्देश जरूर जारी किये हैं।