चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका का सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में विरोध किया है। सीबीआई ने कहा कि लालू प्रसाद यादव लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेकर जमानत का ‘‘गलत’’ इस्तेमाल कर सकते हैं, ऐसे में उन्हें जमानत न दी जाए। अपने एफिडेविट में सीबीआई ने कहा कि लालू मेडिकल आधार पर जमानत मांग अदालत को गुमराह कर रहे हैं। वह अस्पताल से राजनैतिक गतिविधियां चलाते हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान बाहर रहना चाहते हैं। सीबीआई ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से यादव की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने की अनुमति मांगी थी। जांच ब्यूरो ने कहा कि राजद प्रमुख आसन्न लोकसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं और अपनी जमानत का दुरूपयोग कर सकते हैं।
जांच एजेंसी ने कहा कि वैसे भी लालू प्रसाद यादव आठ महीने से ज्यादा वक्त से अस्पताल के वार्ड में हैं और राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त हो रहे हैं। सीबीआई ने अपने जवाब में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (यादव) जिस अवधि में अस्पताल में रहे हैं, उन्हें ना सिर्फ सभी सुविधाओं से युक्त विशेष वार्ड की अनुमति दी गई बल्कि वह वहां से आभासी तरीके से अपनी राजनीतिक गतिविधियां चला रहे हैं। यह उनके मुलाकातियों की सूची से स्पष्ट है।’’ एजेंसी ने कहा कि यादव दावा करते हैं कि वह इतने बीमार हैं कि जेल में नहीं रह सकते, लेकिन अचानक वह जमानत पाने के लिए स्वस्थ हो गए हैं।
रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद राजद प्रमुख ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 10 जनवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी है। राजद प्रमुख पिछले कुछ महीने से रांची स्थित राजेन्द्र चिकित्सा विज्ञान संस्थान (रिम्स) में इलाज करा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को कहा था कि वह चारा घोटाले से जुड़े तीन मामलों में लालू की जमानत याचिका पर 10 अप्रैल को सुनवाई करेगा। इन मामलों में लालू को दोषी ठहराया गया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने सीबीआई से इस संबंध में 9 अप्रैल तक जवाब देने को कहा था।
सिब्बल ने पीठ को बताया कि प्रसाद को तीन मामलों में क्रमश: साढ़े तीन साल, 14 साल और पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे एक ही अपराध के लिये एक ही सबूतों के आधार पर तीन मामलों में दोषी ठहराया गया। मैंने पहले ही जेल में 22 महीने बिता लिये हैं।’’ सिब्बल ने न्यायालय ने सवाल किया, ‘‘एक ही सबूत के आधार पर एक ही अपराध के लिए मुझे तीन मामलों में कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?’’
900 करोड़ रुपये से अधिक के चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में प्रसाद को दोषी ठहराया गया है। ये मामले 1990 के दशक की शुरुआत में पशुपालन विभाग के कोषागार से धोखाधड़ी से धन निकालने से संबंधित हैं। उस समय झारखंड बिहार का हिस्सा था। जिस समय कथित घोटाला हुआ था उस समय राजद बिहार में सत्ता में थी और लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे।