Veer Bal Diwas: सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह (Guru Govind Singh) के बेटों की शहादत को चिन्हित करने के लिए केंद्र सरकार ने हर साल 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ (Veer Bal Diwas) के रूप में मनाने के लिए अधिसूचना जारी की है। साहिबजादा जोरावर सिंह (Sahibzada Zorawar Singh) और साहिबजादा फतेह सिंह (Sahibzada Fateh Singh) गुरु गोबिंद सिंह के पुत्र थे, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था।

एसजीपीसी ने कहा, ये सिख इतिहास को कमजोर करने की साजिश

9 जनवरी, 2022 को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश गुरुपर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे साहिबजादों के शहीदी दिवस को हर साल ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। सिखों के सर्वोच्च अस्थायी अधिकार अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) केंद्र सरकार द्वारा ‘वीर बाल दिवस’ के नामकरण से खुश नहीं है। रविवार को केंद्र द्वारा मनाए जा रहे वीर बाल दिवस को खारिज करते हुए एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने सिखों से अपील की कि वे सिख इतिहास को कमजोर करने की सरकार की साजिश से अवगत रहें।

उन्होंने एक बयान में कहा, “भारत सरकार मनगढ़ंत सिख इतिहास रचने की राह पर है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष इसका समर्थन कर रहे हैं। सिख समुदाय की परंपराओं के खिलाफ जाकर भारत सरकार द्वारा साहिबजादों के शहादत दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाना दुनिया के धार्मिक इतिहास की सबसे बड़ी शहादत और बहुमूल्य विरासत को कमजोर करने की शरारतपूर्ण साजिश है।”

बीजेपी नेता ने किया पलटवार

उनके इन आरोपों के जवाब में बीजेपी नेता मंजीत सिंह सिरसा ने कहा, “यह एक व्यापक रूप से स्वीकृत तथ्य है कि किसी भी सरकार ने सिख धर्म की समृद्ध संस्कृति और विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार जितना काम नहीं किया है। करतारपुर साहिब कॉरिडोर से लेकर गुरु ग्रंथ साहिब को वापस लाने तक, हम तथ्यों को सामने रखेंगे!

ये हैं 5 कारण कि क्यों नामकरण से खुश नहीं हैं अकाल तख्त और एसजीपीसी:

  • केंद्र की अधिसूचना के बाद अकाल तख्त ने चर्चा के लिए सिख विद्वानों की एक समिति बनाई। समिति की सिफारिश के बाद, अकाल तख्त साहिब ने वीर बाल दिवस के बजाय ‘साहिबजादे शहादत दिवस’ के रूप में नामकरण की सिफारिश की, जिसका केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया।
  • एसजीपीसी की कार्यकारिणी ने इस वर्ष 11 अक्टूबर को इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र से वीर बाल दिवस से साहिबजादे शहादत दिवस का नाम बदलने का अनुरोध किया गया, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया।
  • अकाल तख्त और एसजीपीसी ने कहा कि छोटे साहिबजादों की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ तक सीमित रखना उनकी शहादत और सिख परंपराओं की भावना के अनुरूप नहीं है। सिख इतिहास, सिद्धान्तों और परंपराओं की दृष्टि से दासवेन पातशाह (दसवें गुरु) के साहिबजादों का अतुलनीय बलिदान महान योद्धाओं के समान है।
  • सिख इतिहास में साहिबजादों को ‘बाबा’ (पवित्र पुरुषों के लिए सम्मान की अवधि) शब्द से सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा कि नामकरण सिख इतिहास, गुरबानी, सिख सिद्धांत और विश्वास पर होना चाहिए।
  • एसजीपीसी का मानना है कि समुदाय की परंपराएं, मान्यताएं और सरोकार बहुत ही अनोखे और अतुलनीय हैं, इसलिए उनसे संबंधित कोई भी निर्णय अकाल तख्त साहिब के आदेश पर लिया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को कोई एकतरफा निर्णय नहीं लेना चाहिए।

वीर बाल दिवस के कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में वीर बाल दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस हमारी सिख परंपरा के लिए भावों से भरा जरूर है, लेकिन इससे आकाश जैसी अनंत प्रेरणा जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि यह दिवस याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय आयु मायने नहीं रखती है। यह याद दिलाएगा कि 10 गुरुओं का योगदान क्या है। उन्होंने आगे कहा कि एक ओर मजहबी उन्माद और दूसरी तरफ सब में ईश्वर देखने वाली उदारता। इस सबके बीच एक ओर लाखों की फौज और दूसरी ओर अकेले होकर भी नीडर वीर साहिबजादे। यह साहिबजादे किसी से डरे और झुके नहीं।