चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के संभावित अनौपचारिक दौरे के लिए महज पांच दिन का वक्त ही बचा है, लेकिन पड़ोसी मुल्क की ओर से अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी और चिनफिंग की मुलाकात 11-12 अक्टूबर को चेन्नई के नजदीक ममलापुरम में हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति के दौरे के ऐलान के लिए अगले 24-48 घंटे बेहद अहम होंगे। सूत्रों के मुताबिक, एक बार चीन की तरफ से कन्फर्म करने के बाद दोनों देश आपसी तालमेल से यह ऐलान करेंगे।

हालांकि, 2018 में भी ऐसे ही हालात सामने आ चुके हैं। उस वक्त तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वुहान में मोदी और चिनफिंग की अनौपचारिक भेंट के बारे में 22 अप्रैल को घोषणा की थी। वहीं, यह मुलाकात पांच दिन बाद 27 और 28 अप्रैल को हुई थी। उधर, भारत ने चिनफिंग की आगवानी के लिए ममलापुरम में तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए कस्बे में स्थित मंदिरों का सुंदरीकरण शुरू कर दिया गया है। प्रस्तावित दौरे के मुताबिक, चिनफिंग यहां 11 अक्टूबर को पहुंचेंगे और अगले दिन लौट जाएंगे।

उधर, नेपाली मीडिया में इस तरह की खबरें हैं कि शी चिनफिंग भारत दौरे के बाद काठमांडू जा सकते हैं। वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बीजिंग से रविवार को खबर दी कि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान मंगलवार से चीन दौरे पर होंगे। इससे पहले, शनिवार को भारत ने पाकिस्तान के चीनी राजदूत द्वारा कश्मीर पर की गई टिप्पणी के खिलाफ डिप्लोमैटिक चैनलों के जरिए चीन से ‘तीखा विरोध’ जताया था। भारत ने चीन के उस रवैए पर ‘सफाई भी मांगी’ थी, जो जम्मू-कश्मीर पर पड़ोसी मुल्क के पूर्व के रुख से अलग है।

बता दें कि चीनी राजदूत याओ जिंग ने कहा था कि वह कश्मीर विवाद के हल के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘हम कश्मीरियों के लिए भी काम कर रहे हैं ताकि हम उन्हें उनके मौलिक अधिकार और न्याय सुनिश्चित कराने में मदद कर सकें। कश्मीर के मुद्दे पर एक न्यायसंगत हल निकाला जाना चाहिए और चीन क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा है।’ याओ भारत में भी डिप्टी चीफ ऑफ मिशन के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। भारत ने उनके बयान को चीन के पुराने रुख से हटते हुए देखा क्योंकि पड़ोसी मुल्क अभी तक यही मानता आया है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच दि्वपक्षीय मुद्दा है।

इससे पहले, चीनी विदेश मंत्री वांग यी 9 सितंबर को प्रस्तावित विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत में शामिल होने के लिए भारत नहीं आए थे। यही नहीं, हाल के वक्त में दोनों देशों की तरफ से कई कदम और बयान हैं, जिससे माहौल पर असर पड़ते नजर आया। चीन के विदेश मंत्रालय के उप मंत्री लुओ जाओहुई ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के हिमगिरी सैन्य अभ्यास पर सवाल उठाए थे। कभी भारत में चीनी राजदूत रह चुके लुओ ने भारतीय विदेश सचिव विजय केशव गोखले के सामने विरोध जताया था।

वहीं, ऐसी रिपोर्ट भी सामने आई जिसमें कहा गया कि महात्मा गांधी की 150 जयंती के लिए होने वाले कार्यक्रम के लिए चीन के स्थानीय अधिकारियों ने इजाजत नहीं दी और वेन्यू बदलना पड़ा। हालांकि, शनिवार को चीनी एंबेसी के प्रवक्ता ने उस रिपोर्ट को खारिज किया। इससे पहले, 27 सितंबर को यूएन जनरल असेंबली में चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था। इसी दिन मोदी और पाक पीएम इमरान खान भी इस मुद्दे पर बोले थे। वांग के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, ‘भारत उम्मीद करता है कि दूसरे देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।’ भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में प्रस्तावित कथित चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर पर भी सवाल उठाए थे।