विवादित बयान को लेकर भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में केस दर्ज हुए हैं। ऐसे में इन मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने को लेकर नूपुर शर्मा ने शुक्रवार(1 जुलाई 2022) को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। नूपुर शर्मा ने मांग की थी कि अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली स्थानांतरित किया जाए। क्योंकि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। इस याचिका की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को राहत न देते हुए जमकर फटकार लगाई।
अदालत ने कहा कि उनकी टिप्पणी की वजह से देश भर में लोगों की भावनाएं भड़की हैं। देश में आज जो कुछ हो रहा है, उसके लिए वो जिम्मेदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त अंदाज में कहा कि इन लोगों में दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान नहीं है। आइए जानते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी फटकार क्या कहा-
देश में जो हो रहा, उसके लिए वही जिम्मेदार: अपनी सुरक्षा की बात कर मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील करने वाली नूपुर शर्मा को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया, उससे वो खुद सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है? जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए यह महिला अकेले ही जिम्मेदार है।”
अपनी हल्की जुबान से पूरे देश में आग लगा दी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “अपनी हल्की जुबान से उन्होंने पूरे देश में आग लगा दी है।” अदालत ने कहा कि पैगंबर के खिलाफ नूपुर शर्मा की टिप्पणी सस्ते प्रचार, राजनीतिक एजेंडे या कुछ नापाक गतिविधियों के लिए की गई थी।
सत्ता का नशा दिमाग पर चढ़ गया: अदालत ने कहा कि नूपुर शर्मा किसी पार्टी की प्रवक्ता थीं, सत्ता का नशा उनके दिमाग पर चढ़ गया। किसी पार्टी की प्रवक्ता हैं तो देश के कानून की परवाह किए बिना कोई भी बयान दे देती हैं।”
लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार लेकिन..: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को बोलने का अधिकार है। लोकतंत्र में घास को उगने का हक है और गधे को उसे खाने का भी अधिकार है।
आपका दबदबा है: कोर्ट ने कहा, “जब आप किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराती हैं तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है लेकिन आपके खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर में अभी तक आपकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। यह आपका दबदबा दिखाता है।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित बीजेपी नेता नूपुर की अपील को खारिज कर दिया और उन्हें हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया। नूपुर ने अपनी अपील में अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की थी। जिसके बाद नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली।