Bihar Voter List Revision: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन Special Intensive Revision (SIR) के पहले चरण का काम पूरा हो गया है। सबसे बड़ी बात वोटर लिस्ट के रिवीजन से यह सामने आई है कि बिहार के करीब 8% मतदाता यानी 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए हैं। अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या ये लोग चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे? बताना जरूरी होगा कि इस मुद्दे पर बिहार की विधानसभा से लेकर देश की संसद में तक जोरदार हंगामा हो रहा है।
विपक्ष लगातार इस मुद्दे के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित तमाम विपक्षी नेता बिहार से लेकर दिल्ली तक चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। बहरहाल, सवाल यह है कि क्या इन 65 लाख लोगों को चुनाव में वोट डालने का मौका नहीं मिलेगा? बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को शामिल करने से चुनाव आयोग का इनकार
चुनाव आयोग ने क्या बताया?
चुनाव आयोग का कहना है कि राज्य के करीब 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाताओं में से लगभग 92% का नाम मतदाता वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची में शामिल होगा और 8% मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। आयोग के मुताबिक, 22 लाख वोटर ऐसे हैं जिनकी मौत हो चुकी है लगभग 7 लाख मतदाता एक से ज्यादा जगह पर रजिस्टर्ड हैं, 35 लाख लोग स्थायी रूप से बिहार से चले गए हैं या उनके बारे में पता नहीं लग पाया है। यह आंकड़ा 65 लाख के आसपास बैठता है। चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसे सभी लोगों की सूची 12 राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ शेयर की गई है।
चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 7.23 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म उसे मिल चुके हैं। बताना होगा कि चुनाव आयोग ने 24 जून से SIR की प्रक्रिया शुरू की थी और 25 जुलाई तक इसे पूरा किया जाना था। चुनाव आयोग 1 अगस्त को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशित करेगा और 30 सितंबर को इसका फाइनल प्रकाशन किया जाएगा।
‘हमारे पास केवल आधार कार्ड है…’, बिहार के गांवों में परेशान हैं लोग
चुनाव आयोग ने कहा है कि SIR के इस काम में बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO), 38 जिला चुनाव अधिकारी (DEO), 243 निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ERO), 2,976 सहायक EROs, 77,895 मतदान केंद्रों पर तैनात BLOs और राजनीतिक दलों द्वारा तैनात 1.60 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) ने सहयोग दिया है।
क्या कहा था आयोग ने?
चुनाव आयोग ने कहा था कि मतगणना फार्म के साथ ही 2003 के बाद वोटर लिस्ट में जोड़े गए मतदाताओं को उसके द्वारा जारी किए गए 11 डॉक्यूमेंट्स में से कोई एक देना होगा जो उनकी नागरिकता को साबित करता हो।
‘चुनाव आयोग को कुछ नहीं पता, हम पर थोप दिया…’
चुनाव के बहिष्कार का दिया था बयान
इस मामले में बीते दिनों अच्छा-खासा विवाद तब खड़ा हो गया था जब पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी चुनाव का बहिष्कार भी कर सकती है। आरजेडी हो या कांग्रेस या बिहार के अन्य विपक्षी दल उन्होंने चुनाव आयोग के इस कदम को अति पिछड़ों, दलितों और समाज के गरीब लोगों के वोट काटने की साजिश बताया है।
गिरधारी यादव के बयान से परेशान हुआ NDA
पिछले दिनों जब जेडीयू के सांसद गिरधारी यादव ने कहा था कि चुनाव आयोग को बिहार के बारे में कुछ पता नहीं है और SIR को हम पर जबरदस्ती थोप दिया गया है तो विपक्ष ने भी उनके बयान को मुद्दा बनाया था। इससे यह सवाल खड़ा हुआ था कि क्या इस मुद्दे पर बिहार में एनडीए में शामिल राजनीतिक दलों के भीतर ही कोई क्या कोई कंफ्यूजन है? गिरधारी यादव के इस बयान की सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर काफी चर्चा हुई थी और इसके बाद जेडीयू ने उन्हें इस मामले में नोटिस जारी किया था और उनसे जवाब देने के लिए कहा गया था।
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