रविवार को दिल्ली मेट्रो ने 21 वर्ष का सफर पूरा किया। साल 2002 में 24 दिसंबर के दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रेड लाइन पर शाहदरा से तीस हजारी तक दिल्ली की पहली मेट्रो को हरी झंडी दिखाई थी। उस दिन से लेकर आज तक दिल्ली मेट्रो पूरी राजधानी-एनसीआर की जीवनरेखा बनकर उभरी है। इसमें रोजाना कई लाख लोग यात्रा करते हैं। आफिस जाने वाले, स्कूल-कॉलेज जाने वाले, व्यापारी, कामगार, उच्च श्रेणी के लोग, निम्न श्रेणी के लोग, छोटे-बड़े, महिला-पुरुष समेत समाज का हर वर्ग मेट्रो का लाभ उठा रहा है। एक दिन मेट्रो के नहीं चलने से दिल्ली की ट्रैफिक सिस्टम की हालत खराब हो जाती है।
सिल्वर लाइन पर चल रहा काम, 15 स्टेशन जुड़ेंगे
मेट्रो स्टेशन पर लगातार बढ़ती भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। इसके लिए कलर कोड व्यवस्था का अहम योगदान है। अभी 12 कलर कोड है और सिल्वर लाइन पर मेट्रो का काम चल रहा है। इन लाइन के पूरा हो जाने के बाद इसमें 15 और स्टेशन जुड़ जाएंगे और दक्षिणी दिल्ली को इसका सबसे अधिक लाभ होगा। ये सेवा तुगलकाबाद से एरोसिटी के बीच संचालित की जाएगी।
2002 में केवल 6 मेट्रो स्टेशन थे, कुल 288 बन चुके हैं
साल 2002 में दिल्ली में सिर्फ 6 मेट्रो स्टेशन थे, जबकि आज कुल 288 मेट्रो स्टेशन बन चुके हैं। दिल्ली मेट्रो में हर दिन करीब 60 लाख लोग सफर करते हैं, जिसकी वजह से ये पूरी दुनिया में सबसे बड़ी जन परिवहन प्रणालियों में से एक बन गई है। 21 सालों में दिल्ली-एनसीआर में 380 किमी से ज्यादा मेट्रो की लाइनें बिछ चुकी हैं।
वर्तमान में दिल्ली में 65 किमी की नई लाइनें बिछाई जा रही है, जिससे आने वाले दिनों में इस मेट्रो नेटवर्क की लंबाई 400 किमी से भी ज्यादा हो जाएगी। मेट्रो के मुताबिक मेट्रो ने अपनी रफ्तार को भी बढ़ाया है। इसे सितंबर में 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाया गया है। यह शुरुआत में 90 किमी प्रतिघंटा के साथ शुरू हुई थी।
इस वजह से कई अहम मार्ग पर मेट्रो के पहुंचने की समय सीमा में कमी आई है। दावा यह भी दिया जा रहा है कि मेट्रो ने अपनी यात्री सेवाओं को बेहतर किया है और इस वजह से वह अधिक से अधिक लोगों को खुद से जोड़ने में कामयाब रही है। इसके लिए आन लाइन सेवाओं और स्मार्ट कार्ड जैसी सेवाएं शामिल है। इन सेवाओं की बदौलत यात्री आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं।