सोनिया गांधी जब एक बार फिर से कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं तो हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया। उनका ये बयान सुनने के बाद हर किसी को अजीब लगा। अरविंद केजरीवाल दिल्ली का चुनाव लड़ रहे थे तो खट्टर ने कहा कि वो जीते तो बंदर के हाथ में उस्तरा आ जाएगा। उनका ये बयान भी किसी के गले नहीं उतरा। लेकिन देखा जाए तो खट्टर के ये दो बयान ही नहीं हैं जिनकी वजह से वो विवादों में आए। वो कई बार ऐसे वक्तव्य दे चुके हैं, जिनकी वजह से बेवजह का बखेड़ा खड़ा हुआ। उन्होंने स्पष्टीकरण के बाद अपनी बात पर पछतावा भी जताया।
हालांकि वो विवादों से कोई सबक ले रहे हैं ये बात कहीं पर भी नहीं दिखाई देती। पिछले तीन दिनों के तीन वाकये देखे जाए तो साफ लग रहा है कि मनोहर लाल खट्टर को अपनी गलतियों पर कोई मलाल नहीं है। एक जनसंवाद कार्यक्रम में उन्होंने एक शक्स को आप वर्कर बताकर डपट दिया। वो उनसे सवाल कर रहा था तो बीते तीन दिनों के दौरान दो महिलाओं के साथ सीएम के सामने ऐसा बर्ताव हुआ जो नहीं होना चाहिए था।
बीजेपी आलाकमान ने खट्टर को दोबारा सौंपी है हरियाणा की कमान
खट्टर को बीजेपी ने हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर दोबारा बिठाया है। वो पहले 2014 में मुख्यमंत्री बने। पांच साल तक बदस्तूर राज किया। 2019 के चुनाव में बीजेपी हरियाणा में अपने दम पर बहुमत भी हासिल नहीं कर सकी। बावजूद इसके कि उनकी सारी कैबिनेट (सीएम और अनिल विज को छोड़कर) चुनाव हार गई। आलाकमान ने उनको फिर से सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। वो जेजेपी के साथ समझौता करके सरकार चला रहे हैं।
उनके विवादित बयानों पर नजर डाली जाए तो पहली बार सीएम बनते ही उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था कि मुस्लिम रह सकते हैं पर उनको बीफ खाना छोड़ना ही होगा। वो दादरी लिंचिंग पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। केंद्रीय नेतृत्व ने उनके बयान से किनारा किया तो वो माफी मांगने लगे। 2018 में उन्होंने रेप को लेकर विवादित बयान दिया। अरविंद केजरीवाल और रणदीप सुरजेवाला ने उनकी घेराबंदी की तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया।
केंद्र ने आर्टिकल 370 हटाया तो उन्होंने कश्मीर की लड़कियों को लेकर विवादित टिप्पणी की। बाद में पीछे हट गए। 2021 में किसान जब दिल्ली की सीमाओं पर जमे थे तब उन्होंने बीजेपी किसान मोर्चा की मीटिंग में विवादित टिप्पणी की। बवाल बढ़ा तो फिर से पीछे हट गए। लेकिन इस साल अप्रैल में वो सीमाएं लांघ गए। कांस्टेबल भरती टलने को लेकर उनसे सवाल किया गया तो उनका कहना था कि एक जज को कुछ दिक्कत है। हम बातचीत करके कोई रास्ता निकाल लेंगे। न्यायपालिका पर टिप्पणी को लेकर आलोचना हुई तो वो बोले कि ये अस्वाभाविक वक्तव्य था।
