प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए-2 सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसी को लेकर न सिर्फ ‘100 Days of Bold Initiatives and Decisive Actions’ (सरकार के शुरुआती 100 दिनों में बड़े और अहम पहल और फैसलों की विस्तृत जानकारी वाली बुकलेट) जारी की बल्कि, देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं और विकास व अन्य चीजों के मोर्चे पर बड़े-बड़े दावे किए, पर भगवा पार्टी के इन दावों की जमीनी हकीकत क्या है? आइए यही जानते हैं:
दावाः ऑटोमोबाइल सेक्टर में आए Slowdown की वजह युवाओं (Millennials : भारत के शहरों में रहने वाले 22 से 37 साल के बीच के लोग) की प्राथमिकता में बदलाव के वजह से आई है। वित्त मंत्री ने मंगलवार को कहा था कि लोग अब अपनी गाड़ी के बजाय ओला व ऊबर कैब सेवा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
हकीकतः YouGov-Mint Millennial survey (July 2018) के मुताबिक, 80 फीसदी से अधिक मिलेनियल्स ओला/ऊबर के बजाय खुद की गाड़ी की चाहत रखते हैं। यह बात जुलाई 2018 में देश भर के 180 शहरों में किए गए सर्वे में सामने आई थी, जिसमें कुल 5000 लोगों की राय ली गई थी। देखें आंकड़ेः
दावाः 2021-22 तक बनेंगे 1.95 करोड़ घर
असलियतः बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भले ही 2021-22 तक 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा हो, मगर वह पिछले लक्ष्यों को ही फिलहाल हासिल नहीं कर पाई है। नौ सितंबर 2019 तक PMAY-G डैशबोर्ड के अनुसार, 2016-17 से 2018-19 के बीच 84 लाख घर बने, जबकि तब लक्ष्य 1 करोड़ घर बनाने का था। तीन साल में 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर साल सरकार को लगभग 65 लाख घर बनाने होंगे। यानी केंद्र को मौजूदा स्थिति के हिसाब से 2.3 गुणा तेज काम करना होगा।
दावाः LPG से जुड़े आठ करोड़ घर
सच्चाईः सरकार ने दावा किया कि उसने आठ करोड़ घरों को एलपीजी से जोड़ दिया और उसने 2022 तक उसने गावों में सभी को यह सेवा देने की ठानी है। पेट्रोलियम मंत्रालय के आधिकारिक डेटा के मुताबिक, मोदी सरकार ने सत्ता में लौटने के बाद तेजी से एलपीजी कनेक्शंस बढ़ाए (पिछली तिमाही में 70 लाख घरों में) हैं। हालांकि, कनेक्टिविटी देने के साथ इसका इस्तेमाल भी बड़ा मुद्दा है। 2018 में छह राज्यों में किया गया एक पोल बताता है कि 92 फीसदी ग्रामीण घरों में एलपीजी कनेक्शन तो पहुंचे, लेकिन वे उसे दोबारा भराने की वजह से उसका अधिक इस्तेमाल नहीं करते थे।
दावाः संसद में ऐतिहासिक रिकॉर्ड और अधिक काम
असल हालः संसद में इस बार अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म हुए, तीन तलाक बिल और यूएपीए बिल पास हुआ। संसद के दोनों सदनों में कुल 28 बिल पास हुए, जबकि पीआरएस लेजिसलेटिव रीसर्च के डेटा के अनुसार, 20 साल में यह सर्वाधिक आंकड़ा है।
