मुंडका अग्निकांड से दहली दिल्ली अभी तक संभल नहीं पा रही है। नरेला इलाके में 3 दिनों के भीतर दूसरी बार आग के शोले भड़के। इस बार जूते की फैक्ट्री में आग लगी। सूचना मिलते ही 8 दमकल मौके की तरफ रवाना कर दी गईं। अभी ये नहीं पता लग सका है कि आग से कितना नुकसान हुआ। लेकिन चार दिनों में आग की 3 घटनाएं होने से हड़कंप मचा हुआ है।
हिंदुस्तान टाईम्स की खबर के मुताबिक जहां आग लगी वो जगह मुकेश गुप्ता की है। उसने दो मंजिलें किराए पर दे रखी थीं। इनमें पीवीसी सोल बनाने का काम किया जा रहा है। घटना के वक्त कारखाने में 10 मजदूर थे। सभी सुरक्षित हैं। कारखाने का मालिक विवेक है।
राजधानी में आग लगने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। इससे पहले नरेला इलाके की ही 1 प्लास्टिक फैक्ट्री में शनिवार देर शाम आग लग गई थी। नरेला औद्योगिक क्षेत्र की प्लास्टिक दाना बनाने की फैक्ट्री में आग दो मंजिला इमारत में फैल गई थी। दमकल विभाग का कहना था कि आग को समय रहते ही काबू कर लिया गया। उसमें किसी के हताहत होने सूचना नही है।
हालांकि इससे 1 दिन पहले ही मुंडका इलाके में लगी आग देश भर की सुर्खिया बन गई थी। आग तो बुझ गई लेकिन अभी भी लोगों का पता नहीं लग पा रहा है। शुक्रवार को मुंडका इलाके में एक व्यावसायिक इमारत में भीषण आग लग जाने से इसमें काम करने वाले 27 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। आंकड़ा बढ़ भी सकता है। कुल सात शवों की ही पहचान हो सकी है। 22 लोग अब भी गायब हैं।
दिल्ली : नरेला की फैक्टरी में भीषण आग लगी, दमकल की 13 गाड़ियां व पुलिस मौके पर pic.twitter.com/a08mZpKR3Q
— News24 (@news24tvchannel) May 16, 2022
पुलिस का कहना है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ उस समय बिल्डिंग के अंदर मीटिंग चल रही थी। मेन गेट को बाहर से बंद किया गया था। आग कैसे लगी फिलहाल इसकी छानबीन जारी है। पुलिस के मुताबिक बिल्डिंग कैंपस में प्लास्टिक का काफी सामान था। कई केमिकल ड्रम भी वहां मौजूद थे जिसकी वजह से आग काफी तेजी से फैली। उसने देखते ही देखते विकराल रूप ले लिया।
मुंडका की जिस बिल्डिंग में आग लगी थी वहां से निकलने का एक ही रास्ता था। इसी वजह से आग बुझाने में भी दमकल कर्मियों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा। आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेट की टीम साथ वाली बिल्डिंग में दाखिल हुई और फिर वहां से आग बुझाने का प्रयास किया गया। लोगों को निकालने के लिए पहले बिल्डिंग की दीवारों को तोड़ा गया, वहां बड़ा छेद बनाया गया और उसमें से लोगों को निकाला गया।
नरेला का इलाका भी मुंडका सरीखा घना बसा है। कई कारखाने यहां ऐसे बने हैं जहां आगे बुझाने के इंतजाम तो दूर की बात दमकल के पहुंचने की जगह भी नहीं है।