Jindal Steel and Power Ltd (JSPL) के फंड्स के लेन-देन के मामले में Deutsche Bank Trust Company Americas (DBTCA) ने तीन अलग-अलग Suspicious Activity Reports (SARs) फाइल की हैं। हमारे सहयोगी अखबार ‘The Indian Express’ की एक खास पड़ताल में कंपनी से जुड़े ऐसे पैर्टन का पता चला है, जिसमें उसने मॉरीशस, जर्मनी और यूके की कंपनियों को फंड्स भेजे और उसी समयकाल के दौरान दुबई और स्विजरलैंड में कुछ कंपनियों से फंड्स हासिल भी किए।

ये SARs यानी रिपोर्ट्स बताती हैं कि 24 नवंबर 2014 से 28 जनवरी 2015 के बीच JSPL ने 1.799 मिलियन डॉलर्स मॉरीशस आधारित Trans Global Minerals and Metals Corporation (TGMM) को भेजे। साथ ही जर्मनी की Oceanwide Services GmbH को उसी समय पर कंपनी ने 1.3 मिलियन डॉलर्स पहुंचाए। इसी वक्त के आसपास जिंदल स्टील ने दुबई की Power Plant EPC Ltd से 1.323 मिलियन डॉलर्स रकम हासिल की।

27 अप्रैल 2015 और एक जून 2015 के बीच भी कुछ ऐसे ही ट्राजैक्शंस हुए। कंपनी ने तब TGMM को 4.53 मिलियन डॉलर्स और सिंगापुर की Western Bulk Pte Ltd को 321,209 डॉलर्स भेजे। जिंदल स्टील ने इसी समयकाल में दुबई की Power Plant EPC से 2.48 मिलियन डॉलर्स पाए।

पड़ताल में, इन लेन-देन के एक साल बाद भी ऐसे ही ट्रांजैक्शन पाए गए। 23 जून 2016 और 26 अक्टूबर 2016 के बीच जेएसपीएल ने TGMM को 9.48 मिलियन डॉलर्स, सिंगापुर की CBMM Asia Pte Ltd को मई और सितंबर 2016 के बीच 1.83 मिलियन डॉलर्स और यूके की Navalmar (UK) Ltd को 1.52 मिलियन डॉलर्स पहुंचाए। यह रकम 31 मई से 24 अक्टूबर 2016 के बीच दी गई थी। यही नहीं, कंपनी को स्विजलैंड की Trans Global AG से 27 जून से 21 जुलाई 2016 के बीच 16.8 मिलियन डॉलर्स हासिल हुए थे।

अमेरिकी वित्तीय वॉचडॉग FinCEN में दाखिल इन तीनों संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट्स में एक नाम सभी ट्रांजैक्शन में आया है, जो कि मॉरीशस की Trans Global Minerals and Metals Corporation है। SARs के अनुसार, यह कंपनी 2006 में साइप्रस में बनाई गई थी, जिसका रजिस्टर्ड एड्रेस मॉरीशस में है।

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TGMM से जुड़े ट्रांजैक्शंस बताते हैं कि ये पेमेंट्स हैंडलिंग चार्ज, कमीशन और वेसेल एमवी ईआईपीआईएस (कार्गो शिप से जुड़ा) के लिए किए जाते थे। कंपनी के बैंकर Standard Bank Mauritius ने DBTCA को बताया कि उसकी मुख्य कारोबारी गतिविधि इनवेस्टमेंट होल्डिंग, इंटरनेशनल कंसल्टिंग और इंटरनेशनल ट्रेडिंग है, जबकि बैंक ने पुष्ट किया कि कंपनी का मालिक भारतीय है और उसका नाम अमित गुप्ता है।

FinCEN में नवंबर 2014 से 2016 के बीच दाखिल कम से कम पांच SARs में डीबीटीसीए ने पाया कि तकरीबन 79.6 मिलियन डॉलर्स भेजे गए थे और हासिल किए थे और ये 359 ट्रांजैक्शंस में थर्ड पार्टी ओरिजिनेटर/बेनेफिश्यरी Jindal Steel and Power Ltd. के जरिए हुए थे।

SARs फाइल करने के दौरान DBTCA ने यह भी कहा कि ये SAR इसलिए दाखिल किया गया, क्योंकि जेएसपीएल के चेयरमैन नवीन जिंदल से जुड़ी “गलत सूचना” मिली थी, जिन पर साल 2008 में झारखंड में कोयला ब्लॉक के अनुचित आवंटन के एक मामले में विश्वास के आपराधिक उल्लंघन और साजिश के आरोप में ट्रायल चल रहा था। नवीन जिंदल को एक राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति भी माना जाता है। वह संसद सदस्य भी रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि “नवीन जिंदल के बारे में चल रही बातों के कारण, डीबीटीसीए इस एसएआर को दाखिल कर रहा है। वहीं, जेएसपीएल के प्रवक्ता ने कहा, ”मेसर्स ट्रांस ग्लोबल मिनरल्स एंड मेटल्स को भेजा गया पैसा समुद्र के भाड़े और गिरवी और अन्य संबंधित आरोपों के लिए था। न कि किसी अन्य प्रमुख के अधीन। कंपनी ने संबंधित प्राधिकृत डीलर बैंकों को संबंधित नियामक दिशानिर्देश के अनुसार संबंधित प्रेषण भेजने के समय सभी संबंधित दस्तावेज जमा किए हैं।