केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने दूसरे बजट में एक वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है। इसमें करदाताओं को पुरानी व्यवस्था या नई व्यवस्था में से चुनने का विकल्प होगा। यानी यह बदलाव शर्तों के साथ है। इसके लिए आपको निवेश पर मिलने वाले छूट का लाभ छोड़ना होगा। अगर आप निवेश में छूट लेते हैं, तो टैक्स की पुरानी दर ही मान्य होगी। यानी 15 लाख रुपए सलाना कमाने वाले को करीब 78 हजार रुपए का फायदा संभावित है।

वित्त मंत्री ने कहा कि यह निर्णय व्यक्तिगत करदाताओं को राहत देने और आयकर नियम को सरल बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि इसमें एक पेंच है। यदि करदाता नई व्यवस्था को अपनाना चाहते हैं तो उन्हें छूट को छोड़ना होगा। छूट सीमा एक वर्ष में ढाई लाख तक है, लेकिन छूट की सीमा को प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए पर बरकरार रखा गया है, लेकिन स्लैब फिर से बनाए गए हैं। जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपए तक है, उन्हें कोई आयकर नहीं देना है, क्योंकि वे सेक्शन 87ए के तहत 12500 रुपए की कर छूट पाते रहेंगे। वार्षिक आय 15 लाख रुपए वाले वर्तमान कर ढांचे में 27300 की छूट पाएंगे, यानि 78000 रुपए की बचत है। हालांकि वर्तमान ढांचे में सेक्शन 16, 80 सी और 24 के तहत छूट के दावे में कर 148200 रुपए है। इस स्थिति में 46800 रुपए का नुकसान है।

नए वैकल्पिक कर ढांचे में करदाता को वर्तमान 20 फीसदी की दर की बजाए 5 लाख से 7.5 लाख रुपए तक आय में घटे 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। 7.5 लाख से 10 लाख रुपए तक के बीच आय के लिए व्यक्ति को वर्तमान 20 की बजाए 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। 10 लाख से 12.5 रुपए तक की आय पर करदाता वर्तमान के 30 फीसदी की बजाए 20 फीसदी की दर से और और 12.5 से 15 लाख रुपए तक की आय पर 25 प्रतिशत की दर से टैक्स अदा करेगा। कोई व्यक्ति यदि 15 लाख रुपए तक आय करता है तो प्रस्तावित कर व्यवस्था में उसे 78000 रुपए की राहत मिलेगी। क्योंकि वह वर्तमान 273,000 रुपए की बजाए 195,000 टैक्स चुकाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार आने वाले समय में आयकर में दी जाने वाली सभी तरह की रियायतें समाप्त कर सकती है। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा कि नई कर व्यवस्था वैकल्पिक होगी। करदाताओं को विकल्प दिया जाएगा कि वह चाहे तो छूट और कटौती के साथ पुरानी कर व्यवस्था में रहें या फिर बिना छूट वाले नए कर ढांचे को अपनाएं। इसके तहत 2.5 लाख रुपए तक की आय कर मुक्त रहेगी। 2.5 से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगेगा, लेकिन 12,500 रुपए की राहत बने रहने से इस सीमा तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा।