फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगामामादा राबुका तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हैदराबाद हाउस में मुलाकात की। साथ ही पीएम मोदी और फिजी के प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय बातचीत की। इसके बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा, “हमने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को मज़बूत करने का निर्णय लिया है। इसके लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई है। फिजी की समुद्री सुरक्षा को सशक्त बनाने के लिए भारत प्रशिक्षण और उपकरणों में सहयोग प्रदान करेगा। भारत और फिजी साइबर सुरक्षा और डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं। हम इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जलवायु परिवर्तन फिजी के लिए एक गंभीर खतरा है। इस संदर्भ में, हम नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा पर मिलकर काम कर रहे हैं। हम अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में एक साथ हैं। अब हम आपदा प्रतिक्रिया में फिजी की क्षमताओं को बढ़ाने में भी सहायता करेंगे।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के अलावा फिजी के पीएम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। उनका यह दौरा भारत और फिजी के बीच रिश्तों को और मजबूत करने वाला माना जा रहा है। इससे पहले अगस्त 2024 में राष्ट्रपति मुर्मू फिजी गई थीं और वहां की संसद को संबोधित किया था। राष्ट्रपति मुर्मू को राष्ट्रपति रातू विलियम मैवालिली काटोनिवेरे ने फिजी के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘कंपैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी’ से सम्मानित किया था।

कौन हैं फिजी के प्रधानमंत्री राबुका

13 सितंबर 1948 को जन्मे सीटिवेनी राबुका सुवा में रहते हैं, लेकिन मूल रूप से वे फिजी के दूसरे सबसे बड़े द्वीप वनुआ लेवु के ड्रेकेनिवाई गांव से आए थे। उन्होंने इंडियन डिफेंस स्टाफ सर्विस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है और उन्होने 1979 में मद्रास यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की। उन्होंने लेबनान और मिस्र के सिनाई रेगिस्तान में शांति स्थापना के दौरान दो इंफ्रेंटी बटालियनों की कमान संभाली है। 1980 में लेबनान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हुए हमले के दौरान एक फ्रांसीसी अधिकारी को बचाने में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें फ्रांसीसी सेना सम्मान से सम्मानित किया गया था। राबुका ने रग्बी यूनियन और राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स में भी देश का प्रतिनिधित्व किया है।

उन्होंने राजनीति में अपनी पहली छाप तब छोड़ी जब 1987 में एक सैन्य तख्तापलट करने में सफल रहे। उनका तर्क था कि फिजी के मूल निवासी अपने देश पर जातीय भारतीयों के वंशजों के हाथों नियंत्रण खो रहे हैं। इसके बाद राबुका ने 1992 में चुनाव लड़ा और लोकतांत्रिक तरीके से प्रधानमंत्री चुने गए और 1999 तक इस पद पर रहे। उनकी शादी सुलुवेती तुइलोमा से हुआ है।

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