अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई छिड़ गई है। हरीश रावत ने इशारों में राज्य के कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ हमला बोला। जिसके बाद हरीश रावत समेत उत्तराखंड के कई नेताओं को दिल्ली तलब किया गया। राहुल गांधी के साथ मुलाक़ात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहले राउंड में दिल्ली वाले नेता देवेंद्र यादव को हरा दिया और उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कैम्पेन कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। आइये जानते हैं कि आखिर देवेंद्र यादव कौन हैं जिन्हें हरीश रावत ने पहले राउंड में पटखनी दी है।
दो बार विधायक रहे 49 वर्षीय देवेंद्र यादव दिल्ली के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे कांग्रेस पार्टी के नेता होने के साथ ही कारोबार भी चलाते हैं। उनके पिता महेंद्र यादव भी कांग्रेस के नेता हुआ करते थे और उन्हें प्रधानजी के नाम से भी जाना जाता है। देवेंद्र यादव ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। करीब 20 साल पहले भारतीय युवा कांग्रेस के तत्कालीन प्रमुख रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया था।
देवेंद्र यादव ने 2000 में अपना पहला चुनाव लड़ा और उन्होंने दिल्ली नगर निगम में ताल ठोंका। बाद में वे 2002 और 2007 में समयपुर बादली से दो बार कॉर्पोरटर चुने गए। 2008 में उन्होंने दिल्ली की बादली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और वे पहली बार विधायक बने। 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा तो देवेंद्र यादव उन आठ कांग्रेस उम्मीदवारों में थे जिनको जीत हासिल हुई।
हालांकि देवेंद्र यादव का दूसरा कार्यकाल काफी छोटा रहा क्योंकि फ़रवरी 2014 में अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा भंग हो गई। बाद में हुए विधानसभा चुनाव में देवेंद्र यादव अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व में उन्हें प्रमोशन देते हुए 2017 में पार्टी का सचिव बना दिया और उन्हें अविनाश पांडे की सहायता करने का कार्य सौंपा गया जिन्हें राजस्थान का प्रभार दिया गया था।
2018 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को जीत मिली। देवेंद्र यादव भी उस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने चुनाव में अहम भूमिका निभाई। बाद में देवेंद्र यादव को साल 2019 में दिल्ली कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लेकिन यादव 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में बादली से फिर चुनाव हार गए। हालांकि यादव के प्रमोशन में कोई कमी नहीं आई और पिछले साल सितंबर में उन्हें उत्तराखंड का प्रभारी नियुक्त किया गया।
देवेंद्र यादव आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किसी को भी सीएम उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे बल्कि वे सामूहिक नेतृत्व के जरिए चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई लोग इसके पक्ष में नहीं थे। हरीश रावत ने पिछले दिनों कई बार इस बात को कहा कि भले ही उन्हें आधिकारिक तौर पर सीएम का चेहरा न बनाया जाए लेकिन उन्हें पार्टी में मुख्य भूमिका दी जाए।
इसके अलावा उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह समेत कई और नेताओं से देवेंद्र यादव की निकटता भी हरीश रावत की असुरक्षा को बढ़ा रही थी। इतना ही नहीं हरीश रावत के कभी करीबियों में शामिल रहे कांग्रेस नेता रंजीत रावत ने पिछले दिनों कहा था कि उन्हें अब आराम करने की जरूरत है। रंजीत रावत से देवेंद्र यादव की निकटता हालिया दिनों में काफी बढ़ गई थी।
पिछले सप्ताह देहरादून में हुई राहुल गांधी की रैली में भी कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई देखने को मिली थी। सूत्रों के अनुसार हरीश रावत के करीबियों ने दावा किया था कि उनके पोस्टर और कटआउट को रैली से पहले मेन स्टेज के पास से हटा दिया गया था और उन्हें स्टेज पर बैठने भी नहीं दिया गया। यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भी दरकिनार किया गया था।
हालांकि राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद हरीश रावत काफी खुश नजर आए और मीडिया के सामने से गीत गाते हुए कहा कि हम कांग्रेस के गीत गाएंगे और उत्तराखंड पर जिंदगी लुटाएंगे। हरीश रावत और देवेंद्र यादव के बीच की लड़ाई को लेकर एक नेता ने कहा कि रावत काफी होशियार राजनेता हैं। उन्होंने यह बता दिया है कि वह दुखी हैं। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन सभी जानते थे कि उनका निशाना कौन है।