भारतीय वायुसेना ने एक नया इतिहास रचते हुए शनिवार (18 जून) को अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह को प्रथम महिला फायटर पायलटों के रूप में औपचारिक रूप से कमीशन प्रदान कर दिया। सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता के प्रयासों को आगे बढा रहे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शहर के बाहरी क्षेत्र डुंडीगल में स्थित वायुसेना अकादमी में आयोजित संयुक्त ग्रेजुएशन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए इस आयोजन को एक उपलब्धि बताया और कहा कि यह पहली बार है कि महिलाओं को युद्धक भूमिका दी गई है। उन्होंने कहा, ‘यह स्वर्णिम अक्षरों वाला दिन है…।’ साथ ही उन्होंने दावा किया आने वाले वर्षों में सशस्त्र बलों में ‘कदम दर कदम पूर्ण लैंगिक समानता’ हासिल की जाएगी।
पर्रिकर ने कहा, ‘कुछ तकनीकी एवं प्रशासनिक कठिनाइयां हैं जिनका हमें चंद क्षेत्रों में सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा कदम दर कदम हम यह देखेंगे कि इस समानता को उपलब्ध किया जा सके। संख्या इस बात पर निर्भर करेगी कि हमारी आधारभूत सुविधाओं को देखते हुए हम कितनों को समायोजित कर सकते हैं।’ प्रसन्नता व्यक्त करते हुए तीनो महिला पायलटों ने कहा कि वे अपने को सौभाग्यशाली समझती हैं तथा अपने दायित्वों को संभालने को लेकर उत्साहित हैं। इन तीनों ने भारतीय वायुसेना की विभिन्न शाखाओं में फ्लाइट कैडेटों द्वारा कमीशन पूर्व विभिन्न प्रशिक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
इन तीनों महिला पायलटों को अब कर्नाटक के बीदर जाना पड़ेगा जहां वे हाक आधुनिक जेट प्रशिक्षण विमानों पर तीसरे चरण का एक वर्ष तक प्रशिक्षण लेंगी। उसके बाद उन्हें सुपरसानिक युद्धक विमान उड़ाने का अवसर मिलेगा। सरकार ने अक्तूबर में भारतीय वायुसेना को महिलाओं को फायटर पायलट बनाने के लिए अनुमति देकर ऐतिहासिक कदम उठाया था। फायटर पायलट बनने के लिए छह महिला कैडेटों के बीच मुकाबला था। बहरहाल, केवल तीन महिला प्रशिक्षुओं को इस प्रशिक्षण के लिए चुना गया। पर्रिकर ने पासिंग आउट परेड की सलामी ली और राष्ट्रपति की ओर से 130 फ्लाइट कैडेटों को ‘राष्ट्रपति कमीशन’ दिया। इनमें 22 महिला प्रशिक्षु शामिल हैं जिन्हें फ्लाइंग ऑफिसर्स के रूप में कमीशन दिया गया है।