यूपी की राजधानी के सियासी गलियारों में चर्चा है कि यहां कुछ तो होने जा रहा है। अन्यथा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव लगातार तीसरे दिन लखनऊ में मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों के साथ बैठक न कर रहे होते। उनको मंगलवार को तो दिल्ली में होना चाहिए था। उनके साथ आए पार्टी के उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह तो सुबह लौट भी गए।
भाजपाइयों ने ऐसा पहले कभी नहीं देखा जब पार्टी के दिग्गज लखनऊ आकर सरकार और दल के कामकाज को देखें-समझें। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले संघ में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले दत्तात्रेय होसबले भी लखनऊ आए थे। वे भी दो दिन लखनऊ रहे थे और वे भी इसी तरह इन लोगों से मिल कर गए थे, जिनसे संतोष मिल रहे हैं। समझा जाता है कि बीएल संतोष शाम को दिल्ली लौट जाएंगे। वहां वे और राधामोहन सिंह पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भेंट करेंगे और अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
रिपोर्ट के बाद क्या होगा? लखनऊ के भाजपा सूत्र मानते हैं कि कुछ भी हो सकता है। हालांकि कोविड प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीएल संतोष की तारीफ पा चुके हैं लेकिन पार्टी वाले भी जानते हैं कि होसबले, राधामोहन और संतोष के दौरे कोविड प्रबंधन के लिए योगी की तारीफ करने के लिए नहीं हुए हैं। इनका मकसद 2022 के चुनाव से पहले सरकारी और पार्टी के ढीले पुरजों को कसना या रिप्लेस करना है।
तो क्या हो सकता है? बदलावों की जद में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आ सकते हैं। एक उपमुख्यमंत्री बदल सकता है। हटने वाले को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। स्वतंत्र देव से पार्टी में कई लोग प्रसन्न नहीं। हाइकमान इसलिए प्रसन्न नहीं कि दो-ढाई साल से अध्यक्ष पद पर होने के बावजूद वे न तो युवा मोर्चा का गठन कर पाए हैं और न ही महिला मोर्चा का। इसके पीछे पार्टी में उनके रिश्ते हैं। खासतौर पर सुनील बंसल से। सुनील युवा मोर्चे में किसी एक को चाहते हैं तो स्वतंत्र देव किसी और को। आप जानते हैं कि सुनील देव की पार्टी में खासी अहमियत रखते हैं।
क्या सीएम सुरक्षित हैं? माना जा रहा है कि फिलहाल सीएम पद पर बदलाव नहीं किया जाएगा। लेकिन आगे इसकी संभावना बनी रहेगी। दरअसल, कुछ तीखे सवाल तो योगी के सामने भी रखे गए होंगे। स्थानीय निकाय चुनावों में हुई किरकिरी, खासतौर पर बनारस और गोरखपुर में भाजपा की दुर्दशा की बात कोरोना काल में आई गई हो गई हो, लेकिन पार्टी इसे नहीं भूली है। मुख्यमंत्री का अपने घर में ये चुनाव हारना और अपने नेतृत्व में प्रधानमंत्री के क्षेत्र में भी हार जाना, योगी की छवि में चार चांद नहीं लगाता। अतएव, अगर पार्टी को लगा कि योगी के नेतृत्व में यूपी के आगामी 2022 के चुनाव आसान नहीं होंगे तो सरकार का मुखिया बदलने में देर न लगेगी।
इससे पहले लखनऊ में भाजपा के पार्टी कार्यालय में सुबह से ही मंत्रियों व दूसरे पार्टी नेताओं का जमावड़ा होने लगा। यहां बीएल संतोष ने बैठक लगा दी थी और वे एक एक कर सब से मिल रहे थे। वैसे यह मीटिंग लखनऊ जिला इकाई की समन्वय समिति की थी लेकिन अन्य नेता भी संतोष से मिलने आते रहे। मुख्यालय में पहंचने वालों में प्रमुख थेः मोहसिन रजा, कौशल किशोर समेत, आशुतोष टंडन जया देवी, ब्रजेश पाठक, स्वाति सिंह, नीरज वोरा, भुक्कल नवाब, स्वतंत्र देव सिंह।