नतीजा अब बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है। ‘द इकोनामिस्ट’ में प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों के संक्रमित होने की दर और अन्य परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर लगभग 15 लाख चीनी नागरिकों की मौत की आशंका जताई गई है। ये आंकड़े अन्य हालिया आंकड़ों से भी मेल खाते हैं, जिनमें ‘द लांसेट’ पत्रिका की पिछले सप्ताह की एक रिपोर्ट भी शामिल है।
इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चीन में पाबंदियों में ढील दिए जाने के बाद कोरोना संक्रमण से 13 लाख से 21 लाख लोगों की मौत हो सकती हैं। ‘द लांसेट’ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ मरने वालों की संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है। यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि बुजुर्गों और कमजोर लोगों को कितनी संख्या में कोविड-रोधी टीके लगाए गए हैं।’ इसमें कहा गया है, ‘ब्रिटेन के ‘सीरोलाजिकल’ अध्ययनों से पता चला है कि देश में लगभग सभी में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ प्रतिरक्षी हैं।
चीन के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उनमें प्राकृतिक प्रतिरक्षा का स्तर निश्चित रूप से कम होगा। महामारी के दौरान देश में कोविड-19 के 20 लाख से भी कम मामले दर्ज किए गए थे।’ आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने नीति में बदलाव के समय पर सवाल उठाया है।
चेन ने ‘द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन’ को बताया, ‘चीन ने कोविड पाबंदियों को हटाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए। उन्हें टीकाकरण को बढ़ावा देना चाहिए था और मीडिया, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और आम जनता को तैयार करना चाहिए था। मैंने पिछले छह महीने में इनमें से कुछ भी होते हुए नहीं देखा है।’
इस बीच दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक तेजी को ध्यान में रखते हुए भारत में भी बुधवार को कोविड-19 स्थिति की समीक्षा की गई। अधिकारियों को सजग रहने और निगरानी तंत्र मजबूत करने का निर्देश दिया गया। विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।