जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉफ्रेंस के प्रमुख फारुख अब्दुल्ला ने विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस लेने की घोषणा की है। शनिवार (18 जून) को उन्होंने ऐलान किया कि मैं राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस ले रहा हूं।

इस बारे में बात करते हुए फारूख अब्दुल्ला ने कहा, “मैं भारत के राष्ट्रपति के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस लेता हूं। मेरा मानना ​​​​है कि जम्मू और कश्मीर एक महत्वपूर्ण मोड़ से गुजर रहा है और इन अनिश्चित समय से बाहर निकालने और लोगों की मदद करने के लिए यहां मेरी जरूरत है।”

नेशनल कॉफ्रेंस के प्रमुख ने कहा, “मुझे अभी एक्टिव पॉलिटिक्स करनी है। मैं जम्मू-कश्मीर और देश की सेवा में सकारात्मक योगदान देने के लिए तत्पर हूं। मेरा नाम प्रस्तावित करने के लिए मैं ममता दीदी का आभारी हूं। मैं उन सभी वरिष्ठ नेताओं का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझे अपना समर्थन दिया।”

समर्थन के कई फोन आए: फारुख अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा, “ममता दीदी के मेरे नाम का प्रस्ताव देने के बाद, मुझे विपक्षी नेताओं से मेरी उम्मीदवारी के लिए समर्थन की पेशकश करने वाले कई फोन आए।” उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पार्टी और परिवार के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ इस अप्रत्याशित विकास के बारे में चर्चा की। देश के सर्वोच्च पद के लिए मुझे जो समर्थन मिला है और सम्मानित किया गया है उससे मैं गहराई से प्रभावित हूं।

ममता बनर्जी ने रखी थी मीटिंग: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 15 जून 2022 को कांस्टीट्यूशन क्लब में ममता बनर्जी की बुलाई गयी बैठक में संभावित उम्मीदवार को लेकर गहन मंथन हुआ था। इस दौरान ममता बनर्जी ने फारुख अब्दुल्ला और महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी के नाम का भी प्रस्ताव रखा था। बैठक में सभी दलों ने शरद पवार के नाम का सुझाव दिया लेकिन वहां मौजूद पवार ने खुद ही उम्मीदवारी से मना कर दिया था।

बैठक में 16 दल शामिल थे। कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआईएमएल, आरएसपी, शिवसेना, एनसीपी, राजद, एसपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जद (एस), डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल और झामुमो के नेता शामिल थे। वहीं, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, एआईएमआईएम, टीआरएस और बीजेडी ने हिस्सा नहीं लिया था।