कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। जहां केंद्र लगातार शहरी क्षेत्रों में कानूनों के प्रति सहमति बनाने की कोशिश में जुटा है, वहीं किसान संगठन भी ग्रामीण क्षेत्रों में महापंचायत और रैलियां कर के पक्ष जुटाव करने में लगे हैं। इस बीच अब प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार के एमएसपी दिए जाने के दावों पर पलटवार करने लिए एमएसपी लूट कैलकुलेटर लॉन्च किया है। इसके तहत किसान केंद्र सरकार के फसलों पर एमएसपी मिलने के दावों पर आधिकारिक डेटा के जरिए जवाब देंगे।
यह कैलकुलेटर देशभर में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा की इकाई जन किसान आंदोलन (JKA) की तरफ से की गई पहल है। इस कैलकुलेटर को प्रमुख तौर पर मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर लाया गया है। दरअसल, प्रदर्शनकारी किसानों को लग रहा है कि मध्यम वर्ग इस वक्त केंद्र की किसानों को एमएसपी मिलने की कहानी पर विश्वास कर रहा है। इसी वजह से यह वर्ग किसानों के आंदोलन को गलत भी ठहरा रहा है।
योगेंद्र यादव बोले- किसानों से हर साल हो रही लूट: एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में एमएसपी लूट कैलकुलेटर लॉन्चिंग के मौके पर आंदोलन से जुड़े योगेंद्र यादव ने सभी मंडियों में बिकने वाली बंगाल के चने की रोजाना बिक्री और मोडाल कीमतों के डेटा का जिक्र किया। 1 से 15 मार्च के बीच के इस डेटा को सरकार की वेबसाइट agmark.net पर डाला गया था।
यादव ने बताया कि बंगाली चने का एमएसपी 5100 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, लेकिन किसानों को इसका औसत दाम 4663 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। यानी हर क्विंटल पर 437 रुपए का नुकसान। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बंगाल के चने की तरह ही 22 अन्य फसलों के एमएसपी की जानकारी और सच्चाई भी बताई जाएगी।
योगेंद्र यादव ने आगे कहा, “यह लूट कोई नई नहीं है। 2020-21 में किसानों से उनकी चने की फसल के 884 करोड़ रुपए लूट लिए गए औऱ उन्हें एमएसपी से 800 रुपए कम मिले थे। इससे पहले 2019-20 में किसानों से 957 करोड़ रुपए की लूट हुई थी और हर साल यह चलन जारी रहता है। सरकार ने चने की खरीद के लिए कोई तैयारी भी नहीं करवाई है।”