किसानों ने सरकार की तरफ से समिति बनाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार पहले कृषि कानून वापस ले, तभी आगे किसी प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। मंगलवार को किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत शुरू हुई। इस दौरान सरकार ने किसानों से कहा कि आप अपने संगठनों के चार-पांच प्रतिनिधियों के नाम दीजिए। सरकार एक समिति बनाएगी और यह कृषि कानूनों पर विचार करेगी। इस समिति में किसानों के प्रतिनिधियों के साथ ही सरकार के प्रतिनिधि और कृषि विशेषज्ञ भी मौजूद रहेंगे। फिलहाल सरकार के साथ किसानों की बातचीत 3 दिसंबर (गुरुवार) को फिर होगी।
इसके पहले दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच दोपहर तीन बजे बैठक शुरू हुई। इस बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब से सांसद हैं) भी मौजूद रहे। किसानों की ओर से अलग संगठनों के कई नेताओं ने अपनी बातें रखीं।
सूत्रों के मुताबिक, किसानों का कहना है कि उन्हें समिति पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि जब तक समिति कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती और कुछ ठोस बात नहीं निकलती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार ने ये भी प्रस्ताव दिया है कि समिति रोजाना बैठकर चर्चा करने को तैयार है, ताकि जल्द नतीजा निकल सके। सूत्रों के मुताबिक, एक किसान प्रतिनिधि ने नए कानून को किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ बताया।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की भलाई के लिए सभी कदम उठाएगी। किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि आप लोग ऐसा कानून लाए हैं जिससे हमारी जमीनें बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे, आप कॉरपोरेट को इसमे मत लीजिए। अब समिति बनाने का समय नहीं है। आप कहते हैं कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, हम कह रहे हैं कि आप हमारा भला मत कीजिए।