मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 6 महीने से भी ज्यादा समय से जारी है। आंदोलन के छह माह होने परे भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने बुधवार को काला दिवस मनाया। कोरोना महामारी के चलते कई नेता किसानों से आंदोलन वापस लेने को कह रहे हैं। इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर साफ कर दिया है कि यह आंदोलन चलता रहेगा।
टिकैत ने ट्वीट कर लिखा “किसान शांति के साथ आंदोलन चलाते रहेंगे और एक दिन सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे।” इसके बाद टिकैत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। किसान नेता ने एक अन्य ट्वीट में लिखा “आन्दोलन जब तक भी करना पड़े, आंदोलन के लिए तैयार रहना है, इस आंदोलन को भी अपनी फसल की तरह सींचना है, समय लगेगा. बिना हिंसा का सहारा लिए लड़ते रहना है । #जीतेगा_किसान।”
टिकैत ने लिखा “आंदोलन लंबा चलेगा, कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकतें।” उन्होने लिखा “रोटी तिजोरी की वस्तु न बने, इसलिए किसान छह माह से सड़कों पर पड़ा है, भूख का व्यापार हम नहीं करने देंगे और आंदोलन की वजह भी यही है।”
वहीं बैठक सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसानों ने आंदोलन को तेज करने की बात कही है। पिछले साल 5 जून को इस कानून का अध्यादेश आया था। ऐसे में किसान उस दिन भाजपा सांसद और विधायकों के घरों के पास हुंकार भरेंगे। किसान उस दिन कृषि कानून की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज करेंगे।
गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिनों में समाधान के लिए कई दौर की बैठकें हुई थीं, लेकिन कोई हल नहीं निकला था। किसान इन तीनों कानूनों में संशोधन को तैयार नहीं हैं, बल्कि उनको को वापस लेने की जिद पर अड़े हैं. जबकि मोदी सरकार कानूनों में संशोधन को तैयार है।