राकेश टिकैत ने कहा है कि जब किसानों ने रास्ता बंद किया तो पुलिस खुलवाने में लग गई लेकिन अब वह खुद ऐंबुलेंस के रास्ते को भी तार लगाकर बंद कर रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। टिकैत ने कहा कि जिस लेन को दिल्ली पुलिस ने बंद कर दिया है वह उत्तराखंड के लिए लाइफलाइन है। इससे होकर ऐंबुलेंस गुजरा करती थी।

बता दें कि जहां किसानों का विरोध प्रदर्शन हो रहा है वहीं दिल्ली पुलिस ने लोगों को रोकने के लिए कटीले तार बिछा दिए हैं। इसके अलावा बॉर्डर पर सात लेयर की घेराबंदी की गई है। टीकरी बॉर्डर पर जाने वाली सड़कों पर कीलें बिछा दी गई हैं। किसान यूनियन ने 6 जनवरी को देशव्यापी चक्काजाम का ऐलान किया है। इससे पहले पुलिस ऐक्टिव है और कई जगहों पर आने-जाने के रास्ते बंद कर रही है।

गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर पर आए किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने में परहेज नहीं किया था इसलिए इस बार परमानेंट बैरिकेडिंग की गई है। इसे हटाना मुश्किल होगा। बैरिकेडिंग के बीच में गिट्टी भरकर इसे पूरी तरह से जाम कर दिया गया है। सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेड्स के बीच में लोहे की छड़ें लगा दी गई हैं। किसानों में इस ऐक्शन को देखकर काफी नाराजगी है। टिकैत ने भी कहा कि किसानों के प्रदर्शन की वजह से आम आदमी को दिक्कत नहीं हो रही बल्कि पुलिस ही रास्ता रोक रही है और लोगों को मुसीबत में डाल रही है।

राकेश टिकैत ने कहा, ‘पूरी ऐंबुलेंस लाइन में दो महीने से ऐंबुलेंस चलती थी, उसे दिल्ली पुलिस ने बंद कर दिया। कटीले तार लगा दिए गए। तीन रोड को, जिसे हमने छोड़ रखा था, उन्हें बंद कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि धरना शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने रास्ता बंद कर दिया। जिससे जनता कहे कि हम जनता तो दुखी कर रहे हैं। हम ऐसा नहीं कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस रास्ते बंद कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, सरकार से हम यही कहना चाहते हैं कि बातचीत से ही समाधान निकलेगा। बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं। एमएसपी पर कानून बनना चाहिए। बजट में केवल कर्जा बढ़ाने और घटाने की बात की गई है। हम भी चाहते हैं कि डिजिटल इंडिया कैंपेन का हिस्सा बनें।