किसानों के आंदोलन की आंच महाराष्ट्र तक पहुंच चुकी है। विदर्भ क्षेत्र की रहने वाली कुछ विधवा महिलाओं का एक समूह दिल्ली में किसानों के आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 30-40 वर्ष की उम्र की करीब 60 महिलाएं गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों के ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेंगी। इन महिलाओं का कहना है कि जब कोई किसान आत्महत्या कर लेता है तो पूरा परिवार बुरी तरह प्रभावित होता है। किसानों के बच्चे और उनके बूढ़े परिजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, उन्हें काफी केयर की जरुरत पड़ती है।
इधर ऑल इंडिया किसान सभा के बैनर तले किसान मार्च करते हुए नासिक से मुंबई पहुंचे। इन सभी किसानों ने दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में यह मार्च निकाला। महाराष्ट्र के 21 जिलों से हजारों किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां नासिक में शनिवार को हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जमा हुए थे। इन किसानों ने 180 किलोमीटर तक मार्च कर सोमवार को मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में बड़ी रैली निकालने का फैसला किया है।
#WATCH | Maharashtra: Under the banner of All India Kisan Sabha, farmers march towards Mumbai from Nashik in support of farmers agitating against three agriculture laws at Delhi borders; Visuals from Kasara Ghat between Nashik to Mumbai. pic.twitter.com/kWtBEpIQ1Y
— ANI (@ANI) January 24, 2021
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस रैली में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी शामिल हो सकते है। किसानों के इस मार्च का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस वीडियो में किसान हाथों में झंडा और बैनर लिए सड़कों पर चलते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह सभी किसान छोटे-छोटे यूनियन के सदस्य हैं और उनका यह प्रदर्शन ऑल इंडिया किसान सभा के बैनर तले है।
इधर 26 जनवरी को किसानों द्वारा प्रदर्शन का ऐलान किये जाने के सवाल पर कृषि मंत्री ने कहा कि गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय त्योहार है। आंदोलन के लिए 365 दिन हैं। रैली की ताकत किसी भी दिन दिखा सकते हैं, लेकिन 26 जनवरी इसके लिए उपयुक्त दिन नहीं है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इस रैली के लिए कोई और दिन निश्चित करें। वहीं उन्होंने कहा कि ‘मुझे ये भी विश्वास है, कि किसान यदि 26 जनवरी को किसी प्रकार का आंदोलन करते भी हैं, तो ये आंदोलन पूरी तरह अनुशासित होगा।’